मार्क कार्नी (Mark Carney) को कनाडा की लिबरल पार्टी का नया नेता चुना गया है. वो प्रधानमंत्री के तौर पर जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) की जगह लेंगे. कार्नी बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड (Bank of England) दोनों के पूर्व गवर्नर रह चुके हैं. उन्होंने 89% वोटों के साथ नेतृत्व की दौड़ में बड़ी जीत हासिल की. कार्नी लंबे समय से राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से इनकार करते रहे हैं.
साल 2012 में एक बार मजाक करते समय उन्होंने कहा था कि मैं सर्कस क्लाउन क्यों नहीं बन सकता हूं. वो अब प्रधानमंत्री हैं.
कनाडा, अमेरिका का नहीं है: कार्नी
अपनी विक्ट्री स्पीच में कार्नी ने अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक तनावों को लेकर भी बात की. उन्होंने राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के हालिया टैरिफ और कनाडा के 51वें अमेरिकी राज्य बनने पर दावा किया कि कनाडा, अमेरिका का नहीं है. और कनाडा कभी भी किसी भी तरीके से, किसी रूप में अमेरिका का हिस्सा नहीं बन सकता है.
इससे पहले 6 जनवरी को ट्रूडो ने ऐलान किया था कि वो प्रधानमंत्री के पद और लिबरल पार्टी के नेता से इस्तीफा देंगे. वो करीब एक दशक सत्ता में रह चुके हैं. कार्नी को कुछ दिनों के अंदर शपथ दिलाई जाएगी और वो कनाडा की जनता से नया जनादेश मांग सकते हैं.
जानें कौन हैं मार्क कार्नी?
मार्क कार्नी का जन्म 16 मार्च 1965 को कनाडा के उत्तर-पश्चिमी प्रांत के फोर्ड स्मिथ में हुआ था. वो एक हाई स्कूल प्रिंसिपल के बेटे हैं. उन्होंने साल 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन की डिग्री ली थी. 1993 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र की मास्टर्स डिग्री और 1995 में PhD हासिल की.
अप्रैल 2013 में उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ मैनिटोबा से हॉनरी डॉक्टर ऑफ लॉज हासिल की. मार्क कार्नी ने लंदन, टोक्यो, न्यूयॉर्क और कनाडा में 13 साल के लिए गोल्डमैन सैक्स में काम किया था. अगस्त 2003 में उन्हें बैंक ऑफ कनाडा में डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया गया था. नवंबर 2004 में वो बैंक ऑफ कनाडा को छोड़कर सीनियर एसोसिएट डिप्टी मिनिस्टर ऑफ फाइनेंस बन गए.
मार्क कार्नी को 1 फरवरी 2008 को सात साल के कार्यकाल के लिए बैंक ऑफ कनाडा का गवर्नर नियुक्त किया गया था. उन्होंने वैश्विक आर्थिक संकट से थोड़ा पहले पद संभाला था और कनाडा को मंदी के सबसे बुरे दौर से निकलने में मदद की थी. उन्होंने ब्याज दरों में आक्रामक रूप से कटौती की थी और उन्हें कम रखा था, जिससे कारोबारों को निवेश जारी रखने में मदद मिली थी.
साल 2013 में वो बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर नियुक्त किए गए थे.