इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसीज (ULIPs) को इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट के रूप में प्रचारित (Advertise) करने पर रोक लगा दी है. इसके लिए IRDAI ने विज्ञापन से जुड़े नियम जारी किए हैं. इंश्योरेंस कंपनियां अब ULIPs का निवेश उत्पाद के रूप में विज्ञापन नहीं कर पाएंगी.
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने हाल ही में जारी एक मास्टर सर्कुलर में ये आदेश दिया है. इस साल की शुरुआत में बीमा कंपनियों की ओर से ULIPs को गलत तरीके से बेचे जाने की शिकायतों के बाद IRDAI ने ये कदम उठाया.
मार्केट रेगुलेटर SEBI ने बीमा कंपनियों की ओर से निवेश उत्पादों के रूप में ULIP की मिस-सेलिंग के मामले को स्पष्ट करने के लिए ये कदम उठाया. इंश्योरेंस कंपनियां पॉलिसी होल्डर्स और निवेश्कों के सामने नए ULIP को NFO यानी न्यू फंड ऑफर के रूप में पेश कर रही थीं.
क्या होते हैं ULIPs?
ULIP यानी यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान ऐसे प्रॉडक्ट्स होते हैं, जिनमें निवेश और कवर, दोनों तरह के फायदे ऑफर किए जाते हैं. ULIPs में लॉन्ग टर्म गोल्स या भविष्य की बड़ी जरूरतों के लिए इन्वेस्टमेंट के साथ-साथ किसी अनहोनी की स्थिति में फैमिली के फाइनेंशियली प्रोटेक्शन के लिए लाइफ कवर का विकल्प होता है.
यानी इसमें ग्राहकों को बीमा कवरेज के साथ इक्विटी और बॉन्ड में निवेश, दोनों का विकल्प मिलता है. पॉलिसीहोल्डर्स एक रेगुलर प्रीमियम पेमेंट करता रहता है, जो इंश्योरेंस को कवर करेगा और इस प्रीमियम का एक हिस्सा इक्विटी, बॉन्ड या दोनों में किए गए निवेश की ओर जाता है.
ऐसे प्लान 5 साल के मैनडेटरी लॉक-इन पीरियड के साथ आता है, यानी 5 साल के बाद ही इसमें से थोड़े या पूरे पैसे निकाले जा सकते हैं.
बीमा कंपनियां ऐसा विज्ञापन नहीं कर सकतीं
इंश्योरेंस से संबंधित न होने वाली सर्विसेस का प्रचार
जेनरल इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स के मामले में दरों/छूट की तुलना पूर्ववर्ती टैरिफ से करना
संबंधित रिस्क फैक्टर्स बताए बिना प्रॉडक्ट्स/प्लान्स के फायदे बताना
सीमाओं/शर्तों/प्रभावों (Limitations/Conditions/Implications) के बिना आंशिक रूप से फायदों का खुलासा करना
प्राॅडक्ट्स या प्लान्स के लाभों को बढ़ा-चढ़ाकर बताना
किसी कंपीटिटर या इंडस्ट्री की प्रतिष्ठा को बदनाम करना
सर्कुलर में और क्या कहा गया है?
अपने सर्कुलर में IRDAI ने सभी विज्ञापनों में लिंक्ड इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स से जुड़े रिस्क फैक्टर्स का खुलासा करने के लिए कहा है.
सभी विज्ञापनों में ये खुलासा करना जरूरी होगा कि प्रॉडक्ट/प्लान के बोनस या पिछले परफॉर्मेंस या रिटर्न को भविष्य की गारंटी नहीं माना जा सकता.
जैसे किसी प्लान ने पिछले 5 साल में 40% रिटर्न दिया हो तो वो अगले 5 साल में भी 40% रिटर्न देगा, ऐसा संभव तो है नहीं! इसलिए बीमा कंपनियां ऐसा स्पष्ट करेंगी.
बीमा कंपनियों को इस बात का खुलासा करने के लिए भी कहा गया है कि ऐसे प्रॉडक्ट्स या प्लान, एक्सपेंसेस मैनेजमेंट यानी खर्च प्रबंधन, मॉरेलिटी और चूक के संदर्भ में निवेश के ओवरऑल परफॉर्मेंस के जोखिम के दायरे में है.
ऐसे प्लान्स में अनुमानित बोनस की गारंटी नहीं होती और पिछले प्रदर्शन को भविष्य के बोनस का संकेत नहीं माना जा सकता, इस बात का खुलासा भी विज्ञापन में शामिल करने की जरूरत है.
इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने कहा कि वैरिएबल पेआउट वाले सभी लिंक्ड और एन्युटी प्रॉडक्ट्स के विज्ञापनों को ASCI यानी भारतीय विज्ञापन मानक परिषद के मानकों का भी पालन करना चाहिए.