Health Insurance: हेल्थ इंश्योरेंस जल्दी क्यों लेना चाहिए? गिनते रह जाएंगे फायदे

हर व्यक्ति को हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए. अगर व्यक्ति को कोई मेडिकल दिक्कत होती है और उसे अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है, तो इससे मदद मिलती है.

Source: Canva

हर व्यक्ति को हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए. ये व्यक्ति को किसी मेडिकल जरूरत या अस्पताल में भर्ती होने पर वित्तीय सुरक्षा देता है. जीवन में जल्दी हेल्थ इंश्योरेंस लेने के कई फायदे हैं. इसमें से एक सबसे बड़ा फायदा है कि इससे ट्रैक रिकॉर्ड बनाने में मदद मिलती है. आइए जान लेते हैं कि जल्दी और कम उम्र में हेल्थ इंश्योरेंस लेने के क्या-क्या फायदे हैं.

कम प्रीमियम

जिंदगी में जल्दी लाइफ या हेल्थ इंश्योरेंस लेना अच्छी चीज है, क्योंकि इसका वित्तीय फायदा आपको साफ तौर पर दिखेगा. युवाओं के लिए प्रीमियम कम होता है, खासतौर पर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में ये फायदा देगा. इसके पीछे वजह है कि युवाओं के बीमार या गंभीर बीमारी से पीड़ित होने की संभावना कम होती है और इसलिए उनके लिए प्रीमियम भी कम रखा गया है. हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम उम्र के साथ बढ़ता है. इसलिए कम उम्र में ही ये बीमा पॉलिसी लेना बेहतर है.

कोई लॉक इन नहीं

लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के उलट जिसमें पॉलिसीधारक पूरी अवधि के लिए प्रीमियम को लॉक इन कर सकता है, लेकिन हेल्थ इंश्योरेंस के मामले में ऐसा संभव नहीं है. तो, जो व्यक्ति 25 या 30 साल की उम्र में लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लेता है, वो पॉलिसी टर्म की पूरी अवधि के लिए प्रीमियम को लॉक इन कर सकता है.

वहीं, हेल्थ इंश्योरेंस लेने वाला व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता है, क्योंकि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लंबी अवधि की पॉलिसी नहीं होती हैं. ये एक या दो साल के लिए होती हैं, जिसका मतलब है कि इसके बाद उन्हें रिन्यू कराना पड़ेगा. रिन्यू संभव है और पॉलिसी को जारी रखा जा सकता है, लेकिन नया प्रीमियम रिन्यूअल के समय की उम्र पर आधारित होगा. इससे पॉलिसीधारक का प्रीमियम भी बढ़ेगा. क्योंकि पॉलिसीधारक की उम्र भी बढ़ जाएगी, भले ही पॉलिसी पर कोई क्लेम न हो.

बेहतर ट्रैक रिकॉर्ड बनेगा

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के शॉर्ट टर्म रिन्यूअल से आपको ये लग सकता है कि पॉलिसी को कम उम्र में लेने का फायदा नहीं है. क्योंकि आने वाले सालों में प्रीमियम बढ़ जाएगा. हालांकि, ऐसा नहीं है. कम उम्र में पॉलिसी लेने के दो बड़े फायदे हो सकते हैं. पहला, इसमें मिलने वाली कवरेज व्यक्ति को किसी इमरजेंसी मेडिकल इलाज में वित्तीय मदद देगी. दूसरा ज्यादा लंबे समय में फायदा देगा. पॉलिसी लेने और नो क्लेम रिकॉर्ड बनाने से आपका ट्रैक रिकॉर्ड बनेगा.

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में पहले से मौजूद बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड भी होता है, जो दो से चार साल तक का रह सकता है. इसलिए कुछ निश्चित अवधि बीत जाने के बाद, बीमा कंपनी किसी वजह से क्लेम को रिजेक्ट नहीं कर सकती है. ये बड़ी राहत दे सकता है, क्योंकि आपको इस बात की चिंता नहीं रहेगी कि क्लेम मंजूर होगा या नहीं.

नो क्लेम बोनस

इसके अलावा पॉलिसीधारक को नो क्लेम बोनस के तौर पर भी फायदा मिल सकता है. बीमा कंपनियों की नो क्लेम बोनस को लेकर अपनी खुद की गाइडलाइंस होती हैं. इसे हर महीने सम एश्योर्ड के निश्चित प्रतिशत के तौर पर कैलकुलेट किया जाता है. इससे हर साल ये जुड़ता चला जाता है, जब तक ये किसी निश्चित आंकड़े जैसे 50% तक नहीं पहुंच जाता. इससे समान प्रीमियम पर हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज की राशि बढ़ जाती है.

अर्वण पंड्या

(लेखक Moneyeduschool के फाउंडर हैं)

Also Read: शादी के बाद हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय ध्यान रखें ये 5 बातें, लाइफ रहेगी 'Healthy & Wealthy'