हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने का है प्लान? इन बातों का जरूर रखें ध्यान

आइए डिटेल में जान लेते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

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हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) हर व्यक्ति के लिए जरूरी है. मुश्किल समय में किसी बीमारी (illness) या हादसे का शिकार होने पर हेल्थ इंश्योरेंस आपकी मदद करता है. लेकिन, इसके लिए सही हेल्थ इंश्योरेंस चुनना भी जरूरी है. हेल्थ इंश्योरेंस प्लान (Insurance Plan) चुनते समय आप सिर्फ एजेंट्स की बातों पर निर्भर नहीं हो सकते. आइए डिटेल में जान लेते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस प्लान को खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

पॉलिसी से किन बीमारियों को बाहर रखा गया है

ऐसा हो सकता है कि कुछ हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में कुछ पहले से मौजूद बीमारियां कवर न की गई हों या कुछ खास बीमारियों को भी कवरेज से बाहर रखा जा सकता है. ये भी हो सकता है कि कई तरह की मेडिकल सुविधाएं, जांच को पॉलिसी में शामिल नहीं किया गया हो.

पॉलिसी में को-पे का प्रावधान

को-पे क्लॉज के तहत पॉलिसी का प्रीमियम कम हो सकता है. लेकिन इस क्लॉज का मतलब है कि अस्पताल में भर्ती होने के समय इंश्योरेंस कंपनी कुल खर्च में से कुछ हिस्से का भुगतान नहीं करेगी. बाकी पैसे का भुगतान पॉलिसी होल्डर को खुद करना होगा.

पॉलिसी में डिडक्टेबल क्लॉज

डिडक्टेबल एक तय राशि होती है, जिसे ग्राहक को अपनी जेब या किसी अन्य हेल्थ पॉलिसी से देना होता है. ये पैसा इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर होने वाली सेवाओं के लिए ही लिया जाता है.

सब लिमिट क्लॉज

ऐसा हो सकता है कि आपकी पॉलिसी में मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम पर कोई लिमिट हो. किसी बीमारी, इलाज के लिए पॉलिसी में सब-लिमिट दी जा सकती है, जिससे ज्यादा आप क्लेम नहीं कर सकते हैं. मसलन 'चाइल्ड बर्थ' के मामले में ज्यादातर हेल्थ पॉलिसीज में सब-लिमिट तय होती है, इसमें तय लिमिट से ज्यादा क्लेम नहीं मिल सकता.

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नॉन-मेडिकल आइटम पर खर्च

हेल्थ इंश्योरेंस प्लान्स में नॉन-मेडिकल आइटम्स पर कवर नहीं मिलता. इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने बीमा कंपनियों को इन्हें बाहर रखने की इजाजत दी है. इन चीजों में व्यक्ति के इलाज के दौरान हुए खर्च जैसे भर्ती या रजिस्ट्रेशन का खर्च, डिस-इंफेक्टेंट, कंटेनर्स, रेजर, बैंडेज और नॉन-मेडिकल खर्च जैसे हैंडवॉश, हाउसकीपिंग चार्ज आदि शामिल हैं.

रूम रेंट पर सीमा

ज्यादातर पॉलिसीज में रूम रेंट पर लिमिट होती है. अगर अस्पताल के कमरे के चार्जेज निर्धारित सीमा से ज्यादा होते हैं, तो अतिरिक्त चार्ज पॉलिसी होल्डर को खुद उठाने होंगे.

कुछ कवरेज पर लिमिट

सबसे आखिर में, लेकिन सबसे अहम कुल कवरेज की लिमिट है. ये जरूरी है कि आप देख लें कि आपकी पॉलिसी के तहत कुल कवरेज लिमिट कितनी है. और उसी हिसाब से अपनी पॉलिसी को चुनें.

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