नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (NSEL) की वन टाइम सेटलमेंट (OTS) स्कीम को ट्रेडर्स ने जबरदस्त समर्थन दिया है. 17 मई को खत्म हुए ई-वोटिंग में 92.81% ट्रेडर्स (संख्या के आधार पर) और 91.35% (वित्तीय मूल्य के आधार पर) ने इस स्कीम के पक्ष में वोट किया.
ये स्कीम NSEL और उसकी पैरेंट कंपनी 63 मून टेक्नोलॉजीज ने नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT), मुंबई के समक्ष पेश की थी. इसका मकसद 5,682 ट्रेडर्स के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से विवादों का अंतिम समाधान करना है.
क्या है स्कीम में, कैसे हुई वोटिंग?
OTS स्कीम के तहत 31 जुलाई 2024 तक की बकाया रकम के अनुपात में ट्रेडर्स को कुल 1,950 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. इस समझौते के साथ ही NSEL और 63 Moons के खिलाफ चल रहे कई कानूनी मामलों का भी पटाक्षेप होगा और ट्रेडर्स के सारे अधिकार 63 Moons को सौंप दिए जाएंगे.
NCLT ने 8 अप्रैल 2025 को इस प्रस्ताव पर ई-वोटिंग कराने का आदेश दिया था. वोटिंग 17 अप्रैल से 17 मई तक चली. अश्विनी गुप्ता को स्क्रूटिनाइजर और सेवानिवृत्त IAS अधिकारी मुकेश मित्तल को चेयरपर्सन नियुक्त किया गया था.
भुगतान संकट और सरकारी चूक
दरअसल, जुलाई 2013 में NSEL में भुगतान संकट पैदा हुआ था जिसमें हजारों ट्रेडर्स की रकम अटक गई थी. कंपनी का आरोप है कि उस समय के फॉरवर्ड मार्केट्स कमीशन (FMC) के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने, तत्कालीन वित्त सचिव केपी कृष्णन और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के इशारे पर काम करते हुए, कानूनी विकल्पों के बावजूद समाधान नहीं किया और स्थिति को बिगाड़ दिया. अब सुप्रीम कोर्ट कई पुराने आदेशों को पलट चुका है.
अगस्त 2013 में भी NSEL ने 63 Moons की मदद से 10 लाख रुपये तक की बकाया रकम वाले 7,053 छोटे ट्रेडर्स को लगभग 179 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. यानी इन छोटे ट्रेडर्स को 100% राशि मिल चुकी है.
अधिकारियों का क्या कहना है?
NSEL के MD और CEO नीरज शर्मा ने कहा, 'NIF ने ट्रेडर्स के हक की लड़ाई लड़ी और यह समझौता उसी का नतीजा है.' NIF के चेयरमैन डॉ शरद कुमार सराफ ने कहा, '92.81% वोटिंग समर्थन इस बात का संकेत है कि ट्रेडर्स इस समझौते को लेकर गंभीर हैं और उन्हें कम से कम कुछ रकम वापस मिलने की उम्मीद है.'
वहीं, दूसरी ओर 63 Moons के MD और CEO एस राजेन्द्रन ने इसे 'अभूतपूर्व समझौता' बताया और भरोसा जताया कि केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से ये स्कीम जरूर सफल होगी.'