HSBC फ्लैश इंडिया कंपोजिट आउटपुट इंडेक्स नवंबर में बढ़कर 59.5 पर पहुंच गया. इससे पहले अक्टूबर में ये 59.1 रही थी. ये तीन महीनों में सबसे ज्यादा तेजी रही. सर्विसेज आउटपुट में बढ़ोतरी हुई और मैन्युफैक्चरिंग का प्रदर्शन उम्मीदों से ज्यादा रहा.
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर
HSBC में चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजल भंडारी ने कहा कि सर्विसेज ग्रोथ में तेजी देखी गई. जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहा. ये मैन्युफैक्चरिंग PMI आंकड़े में थोड़ी गिरावट के बावजूद है.
इस बीच मैन्युफैक्चर्रस के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कच्चे माल के लिए कीमतों का दबाव बढ़ रहा है. इसके साथ सर्विसेज सेक्टर में खाने और वेतन की लागत भी बढ़ रही है.
HSBC फ्लैश इंडिया मैन्युफैक्चरिंग PMI नवंबर में हल्की गिरावट के साथ 57.3 पर पहुंच गई. अक्तूबर में ये 57.5 रही थी. तीसरी तिमाही के मध्य में कुल नए ऑर्डर्स की संख्या में बढ़ोतरी जारी रही. एक्सपोर्ट्स ने सेल में मदद की.
नए बिजनेस में ग्रोथ
मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की इंटरनेशनल सेल्स में सर्विसेज करे मुकाबले थोड़ी ज्यादा मजबूत बढ़ोतरी देखने को मिली. दुनियाभर में ऑर्डर्स की संख्या में बढ़ोतरी हुई. इनमें एशिया, यूरोप और अमेरिका शामिल हैं.
HSBC फ्लैश PMI के मुताबिक नए कारोबार और एक्सपोर्ट सेल्स में बढ़ोतरी से देश में निजी क्षेत्र की इकोनॉमी को बढ़ावा मिला. हालांकि इसके साथ लागत पर दबाव बढ़ा.
कैपेसिटी पर दबाव बढ़ने से कंपनियों ने नियुक्ति में तेजी लाई है. कारोबार में ओवरऑल सुधार भी आया है.