जस्टिस संजीव खन्ना देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे. CJI DY चंद्रचूड़ ने उनके नाम की सिफारिश की है.
ये एक रुटीन प्रक्रिया है, जिसके तहत CJI के रिटायरमेंट के करीब एक महीने पहले कानून मंत्रालय CJI से अगले मुख्य न्यायाधीश के नाम पर सुझाव मांगता है. CJI, दूसरी वरीयता वाले जज का नाम अगले CJI के तौर पर बढ़ाते हैं, ये सुझाव सरकार के लिए बाध्यकारी होता है.
सुप्रीम कोर्ट के जजों में दूसरी वरीयता पर मौजूद जस्टिस खन्ना का कार्यकाल नियुक्ति के बाद 13 मई 2025 तक करीब 6 महीने का रहेगा. दरअसल CJI चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे. उनकी नियुक्ति 9 नवंबर 2022 को हुई थी.
कौन हैं जस्टिस संजीव खन्ना?
जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ. उन्होंने दिल्ली के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की है.
1983 में 23 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली बार काउंसिल में एनरोल किया. शुरुआत में उन्होंने तीस हजारी कोर्ट में प्रैक्टिस की. बाद में उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट और अन्य ट्रिब्यूनल्स में प्रैक्टिस की.
इस दौरान उन्होंने कॉन्स्टिट्यूशनल लॉ, डायरेक्ट टैक्सेशन, आर्बिट्रेशन, कमर्शियल लॉ, कंपनी लॉ, लैंड लॉ जैसे विविध विषयों पर मुकदमे लड़े. वे लंबे वक्त तक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के लिए सीनियर स्टैंडिंग काउंसल भी रहे.
2004 में उन्हें दिल्ली नेशनल कैपिटल टैरिटरी में स्टैंडिंग काउंसल (सिविल) नियुक्त किया गया.
उन्होंने एडीशनल पब्लिक प्रोसेक्यूटर के तौर भी दिल्ली हाई कोर्ट में कई क्रिमिनल केसों में पैरवी की.
2005 में जस्टिस खन्ना को दिल्ली हाई कोर्ट में एडीशनल जज नियुक्त किया गया. 2006 में उन्हें परमानेंट जज बना दिया गया.
दिल्ली हाई कोर्ट में जज रहने के दौरान वे दिल्ली ज्यूडीशियल एकेडमी, दिल्ली इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट मीडिएशन सेंटर्स में चेयरमैन/जज-इन-चार्ज भी रहे.
18 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया. इस दौरान 17 जून 2023 से 25 दिसंबर 2023 तक वे सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमिटी के चेयरमैन भी रहे.
फिलहाल वे नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन हैं. साथ ही वे नेशनल ज्यूडीशियल एकेडमी, भोपाल की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य भी हैं.
संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) के तहत राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त सुप्रीम कोर्ट के जज 65 साल की उम्र तक ही अपने पद पर रह सकते हैं. उन्हें अक्षमता या दुर्व्यवहार के आधार पर महाभियोग की प्रक्रिया से ही हटाया जा सकता है.