Bike-Taxi Ban: दिल्‍ली में केवल इलेक्ट्रिक बाइक-टैक्‍सी चलेगी? ड्राइवर्स ने फिर लिखा LG को लेटर- मांगी मोहलत

दिल्ली सरकार ने पैसेंजर ट्रांसपोर्ट सर्विस और डिलीवरी सर्विस प्रोवाइड कराने वाले एग्रीगेटर्स के लिए एक नई योजना को मंजूरी दी है.

Source: Companies' Social Handles

दिल्‍ली के बाइक-टैक्‍सी चालकों ने एक बार फिर उपराज्‍यपाल (Lieutenant Governor) VK सक्‍सेना को पत्र लिखकर राहत की मांग की है.

दिल्‍ली में नए नियमों और प्रावधानों के चलते बाइक-टैक्‍सी पर बैन है. इसको लेकर 1,500 से ज्‍यादा ड्राइवर्स ने उपराज्‍यपाल काे पत्र लिखकर मांग की है कि कूरियर, फूड डिलीवरी सेवाओं की तरह उन्‍हें भी मोहलत दी जाए, ताकि वे अपनी बाइक को इलेक्ट्रिक व्‍हीकल में कन्‍वर्ट करा पाएं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्‍ली में पैसेंजर ट्रांसपोर्ट सर्विस और डिलीवरी सर्विस प्रोवाइड कराने वाले एग्रीगेटर्स के लिए योजना को मंजूरी दी है, जिसमें नए नियम तय किए गए हैं.

इसके अगले दिन ही बाइक-टैक्‍सी चालकों ने उपराज्‍यपाल को पत्र लिखा है. ये पत्र BJP सांसद गौतम गंभीर और परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को भी भेजा गया है. इससे पहले ड्राइवर्स ने जून में भी LG को पत्र लिखा था.

नई योजना को मंजूरी, LG की मुहर बाकी

दिल्‍ली सरकार ने जिस स्‍कीम को मंजूरी दी है, वो बाइक-टैक्सी चलाने वालों को भी एक विकल्‍प देती है और एग्रीगेटर्स को यात्री सेवाओं के लिए इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को शामिल करना अनिवार्य करती है.

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, दिल्ली मोटर वाहन एग्रीगेटर और डिलीवरी सर्विस प्रोवाइडर स्‍कीम 2023 से संबंधित फाइल उपराज्यपाल के कार्यालय (LG Office) में जमा कर दी गई है.

दिल्‍ली सरकार की योजना में अनिवार्य रूप से कहा गया है कि दिल्ली में केवल इलेक्ट्रिक बाइक-टैक्सियों को चलाने की अनुमति दी जाएगी और पेट्रोल या अन्‍य किसी ईंधन से चलने वाली बाइक-टैक्सियों का संचालन अवैध हो जाएगा. इस योजना की अधिसूचना जारी हुई तो हमारा काम खत्‍म हो जाएगा. बाइक-टैक्‍सी हमारे लिए आय का एकमात्र स्रोत जो न केवल हमारा बल्कि हमारे पूरे परिवार का भरण-पोषण करता है.
बाइक-टैक्‍सी ड्राइवर्स, अपने पत्र में

पत्र में आगे उन्‍होंने लिखा है, 'ये एक बेहद दुर्भाग्‍यपूर्ण फैसला होगा, क्‍योंकि ऐसे में बेरोजगारी बढ़ेगी. इस मेट्रो‍ सिटी में, जहां पहले ही महंगाई के चलते गुजारा मुश्किल है, वहां इस फैसले के लागू होने से जिंदा रहना मुश्किल हो जाएगा.'

'सरकार का इरादा नेक, लेकिन मोहलत मिले'

ड्राइवर्स ने इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को अपनाने और शहर में प्रदूषण कम करने के दिल्ली सरकार के इरादे की सराहना की है. लेकिन उन्‍होंने कहा, 'केवल इलेक्ट्रिक बाइक-टैक्सियों को अनुमति देने जैसे कठोर कदम उनकी आजीविका छीन लेंगे.'

हम अनुरोध करते हैं कि सरकार की नीति सभी बाइक्‍स के लिए समान रहे. यदि किसी बाइक को सामान (Goods), भोजन(Food), किराने का सामान(Groceries) वगैहर पहुंचाने जैसे कमर्शियल वर्क के लिए सड़क पर चलने की अनुमति है, तो बाइक-टैक्सी के रूप में भी ये अनुमति दी जानी चाहिए. जहां तक बात EVs में कन्‍वर्ट करने की है, तो हम अनुरोध करते हैं कि हमें भी इसके लिए वही समानता और समयसीमा दी जाए, जो डिलीवरी सेक्‍टर को दी गई है.
बाइक-टैक्‍सी ड्राइवर्स, अपने पत्र में

EVs में कन्‍वर्जन के लिए कितनी समयसीमा?

दिल्‍ली सरकार की योजना में डिलीवरी सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए समयसीमा तय की गई है. इस स्‍कीम में,

  • दोपहिया और तिपहिया वाहनों के नए बेड़े में EVs को लागू करने के 6 महीने में 10%, 2 साल में 50% और 4 साल में 100% का लक्ष्य रखा है.

  • 4 पहिया वाहनों के एग्रीगेटर्स को नए बेड़े में 6 महीने में 5% EV, 3 साल में 50% और 5 साल में 100% का लक्ष्य हासिल करना होगा.

  • पुराने और नए सभी सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए पूरे बेड़े को 1 अप्रैल, 2030 तक EVs में बदलना होगा.

EVs महंगी, ज्‍यादातर ग्राहक कम आय वाले

ड्राइवरों ने सामान्य बाइक की तुलना में EV की हाई कॉस्‍ट का भी हवाला दिया. आगे उन्‍होंने लिखा है, 'डिलीवरी सेक्‍टर में उनके दोस्तों को अपने वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है, लेकिन उन्हें समान अधिकार नहीं दिए गए हैं.'

ड्राइवर्स ने लिखा, 'इलेक्ट्रिक बाइक महंगी होने और ज्‍यादा मोहलत मिलने के चलते यदि सभी बाइक टैक्सी चालक डिलीवरी प्लेटफॉर्म पर ही शिफ्ट हो जाएं तो इस सेक्‍टर में आय और कम हो जाएगी. इसी सेक्‍टर में ड्राइवर्स ज्‍यादा होंगे तो शहर में प्रदूषण का स्‍तर भी बना रहेगा.'

पत्र में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि बाइक टैक्सी चालक प्रमुख ट्रांसपोर्ट्र हब के लिए लास्‍ट-माइल-कनेक्टिविटी की एक बहुत ही महत्वपूर्ण समस्या का समाधान करते हैं. ड्राइवर्स ने इस ओर भी ध्‍यान दिलाया है कि उनके ग्राहक आम तौर पर स्‍टूडेंट्स या कम आय वर्ग के लोग हैं, जो किफायती विकल्‍प चाहते हैं.

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