Prashant Kishor Exclusive: तीसरी बार भी PM मोदी की सत्ता में वापसी तय, बोले प्रशांत किशोर, लेकिन राहुल गांधी को लेकर कही ये बात

BJP ने इस बार गोल पोस्ट 272 से शिफ्ट कर 370 पर पहुंचा दिया है, अब चर्चा BJP की जीत-हार पर नहीं, बल्कि 370-400 लाने या लाने की है: प्रशांत किशोर

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राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) का मानना है कि लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार फिर से चुनकर आ सकती है. जहां तक आंकड़ों की बात है, तो प्रशांत किशोर का कहना है कि पिछली लोकसभा के नंबर या उससे बेहतर आंकड़ों के साथ सरकार वापसी कर सकती है.

NDTV के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया के साथ चर्चा में प्रशांत किशोर ने अपने अनुमान के पक्ष में विस्तार से समझाया भी है.

भारत में कहां कम-ज्यादा हो सकती हैं BJP की सीटें?

प्रशांत किशोर ने अपने विश्लेषण के लिए देश को दो हिस्सो में बांटा है. पहला पश्चिम और उत्तर के इलाके हैं, जहां सवा तीन सौ सीटे हैं, यहां 90% सीटें बीजेपी और उनके साथी जीतकर आए हैं. दूसरा दक्षिण और पूर्व का इलाका है, जहां बाकी 225 सीटें हैं, यहां पिछले 10 सालों में बीजेपी का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं है. यहां 50 सीटें ही बीजेपी के पास हैं.

प्रशांत किशोर कहते हैं, 'अगर बीजेपी को हारना है तो उत्तर और पश्चिम में बीजेपी को कोई बड़ा नुकसान होना चाहिए. लेकिन मेरा मानना है कि यहां बहुत नुकसान नहीं होने वाला है. बाकी दक्षिण और पूर्व में बीजेपी की सीट कुल मिलाकर बढ़ ही रही हैं. यहां उनके पास 15-20 सीटें बढ़ेंगी और वोट परसेंटेंज भी बढ़ेगा. मतलब बीजेपी की सीट कम होने की संभावना कम ही है. मतलब बढ़ेंगी ही.'

PM के खिलाफ नहीं दिखता गुस्सा

प्रशांत किशोर का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोगों में गुस्सा नहीं है. सरकार बदलने की परस्थितियों की चर्चा करते हुए वे कहते हैं, 'चुनाव हारने की पहली वजह ये हो सकती है कि लोगों में सरकार के लिए बहुत गुस्सा हो. लोग कह सकते हैं कि विकल्प हो ना हो, हमें तो आपको हटाना है. लेकिन अब तक मोदी जी के खिलाफ बहुत गुस्से वाली बात निकलकर सामने नहीं आई है.'

प्रशांत किशोर आगे कहते हैं, 'चुनाव हारने की दूसरी वजह ये हो सकती है कि मजबूत विकल्प जनता के सामने हो. मोटे तौर पर अभी तक हमने नहीं सुना कि राहुल गांधी आएंगे तो देश सुधर जाएगा. मुझे नहीं लगता कि कोई बहुत बड़ा परिवर्तन होने वाला है.'

BJP ने शिफ्ट किया गोल पोस्ट

प्रशांत किशोर कहते हैं, 'बीजेपी ने हमेशा चौंकाया है. अनुमान से ज्यादा ही सीटें आई हैं. 2014 में 210-220 सीट का प्रोजेक्शन था, लेकिन 272 से ज्यादा आईं. 2019 में भी यही कहानी थी. लेकिन 2024 में कहानी थोड़ी अलग है. इस बार उन्होंने अपना गोल पोस्ट ही 272 से शिफ्ट कर 370 कर रखा है. इसलिए लोगों का आंकलन इसी आंकड़े के आसपास है. अब इसे विपक्ष की बेवकूफी कहें या कुछ और...हमें मोदी जी और बीजेपी को क्रेडिट देना चाहिए. इससे उनको फायदा ही हुआ है, मतलब उनकी हार की चर्चा तो है ही नहीं. चर्चा इस बात की है कि 370 या 400 सीटें आएंगी या नहीं.'

विपक्ष हमेशा मौजूद रहेगा

देश में जहां 60% से ज्यादा लोग 100 रुपये दिन नहीं कमाते, तो ये नहीं कहा जा सकता कि सारे लोग खुश हैं. देश में कभी कोई पार्टी 50% वोट लेकर नहीं आई. मतलब आप ये नहीं कह सकते कि देश में विपक्ष नहीं. इसलिए सीट कितनी भी आएं, विपक्ष तो रहेगा ही- प्रशांत किशोर

वे आगे कहते हैं, 'मोदी जी को इतने बड़े बहुमत के बावजूद हमने बीते सालों में कृषि, CAA, NRC मुद्दों पर हुए बड़े प्रदर्शन देखे. इसलिए BJP को मेरी सलाह है कि आप पब्लिक डिसेंट को नजरअंदाज नहीं कर सकते. क्योंकि रूरल डिस्ट्रेस, बेरोजगारी, बढ़ती हुई असमानता सरकार के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं.'

बीते 10 साल में विपक्ष ने गंवाए मौके

प्रशांत किशोर का मानना है कि 2014 में हार के बाद विपक्ष के पास वापसी करने के कई बड़े मौके थे. लेकिन विपक्ष इनका फायदा नहीं उठा पाया.

प्रशांत किशोर के मुताबिक, '2014 के बाद तीन बार ऐसे दौर देखे गए हैं, जहां विपक्ष के पास मौका था. 2015 में ऐसा दौर था, जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी जीती, बिहार में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली. 2018 में भी यही था. तब 15 महीने का दौर था, जब अर्ली बाउंस बैक किया जा सकता था. दूसरा दौर डिमॉनेटाइजेशन के 6 महीने के बाद आया, देश में अस्थिरता छाई, गुजरात में पटेलों, महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का आंदोलन हुआ. ये बीजेपी के लिए आसान नहीं था. 2017 में ही कर्नाटक में हारे, फिर तीन राज्य हारे, तब फिर विपक्ष के पास मौका था. तीसरा मौका कोविड के दूसरे दौर के दौरान आया. बंगाल चुनाव हारे. पहली बार जून 2022 के बाद मोदी जी की लोकप्रियता कम हुई.'

वे आगे कहते हैं, 'आखिरी मौका इंडिया गठबंधन बनाने के दौरान आया. देश में लगा कि पूरा विपक्ष मिलकर मोदी जी को चुनौती देंगे. लेकिन गठबंधन बनने के बाद चार महीने तक कोई प्रोग्राम नहीं हुआ, ना ग्राउंड पर कोई प्रयास हुए. अगले 6 महीने तक ठंडे बस्ते में चला गया. जनवरी में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद विपक्ष ने हथियार ही डाल दिए.'

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