29-30 दिसंबर 2018. अंडमान निकोबार द्वीप समूह की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रॉस द्वीप समूल का नाम बदल कर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रख दिया. वहीं के नील द्वीप और हैवलॉक द्वीप का नाम बदल कर शहीद द्वीप और स्वराज द्वीप रखा गया.
5 साल बाद तारीख आई- 23 जनवरी 2023. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती. प्रधानमंत्री ने यहीं के 21 द्वीपों का नामकरण मेजर सोमनाथ शर्मा और बहादुर अब्दुल हमीद जैसे देश के 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर किया.
फेमस प्लेराइटर, कवि शेक्सपीयर कह गए हैं, 'नाम में क्या रक्खा है'. लेकिन हर जगह ये बात लागू नहीं होती. बहादुर सैनिकों के नाम पर नामकरण से पहले 21 आइलैंड्स अज्ञात थे, लेकिन अब हर कोई इनके बारे में जान रहा.
PM मोदी ने इनका नामकरण कर 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का संचार किया. और बात केवल 21 आइलैंड्स की नहीं है, ऐसे सैकड़ों आइलैंड्स हैं भारत में. इस मामले में हमारा देश 1,192 आइलैंड्स वाले देश मालदीव से भी समृद्ध हैं.
ये जानकर आपको आश्चर्य हो सकता है, अगर आपने NDTV के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक्सक्लूसिव और अब तक के सबसे व्यापक इंटरव्यू से होकर नहीं गुजरे.
NDTV के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया के साथ बेहद विस्तृत और बेबाक बातचीत के दौरान PM मोदी ने देश के आइलैंड्स के बारे में बड़ा खुलासा किया, साथ ही उन संभावनाओं पर भी बात की, जिसमें भविष्य के भारत की तस्वीर दिखती है.
'देश में 1,300 आइलैंड्स'
अमूमन ज्यादातर लोग अंडमान निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप के बारे में जानते हैं. लेकिन अगर ये पूछा जाए कि देश के पास भौगोलिक रूप से कुल कितने आइलैंड्स हैं तो ज्यादातर लोग इसका जवाब नहीं दे पाएंगे. इतना ही नहीं, इस सवाल का जवाब जानकर हैरान भी जाएंगे.
प्रधानमंत्री मोदी ने NDTV के साथ इंटरव्यू में कहा, 'देश में 1,300 आइलैंड्स हैं. जानकर हैरान हो जाएंगे कि हमारे पास इनका कोई रिकॉर्ड नहीं था. हमने स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए पूरे आइलैंड्स का सर्वे करवाया.'
ब्लू इकोनॉमी: मीलों आ चुके, मीलों है जाना
'ब्लू इकोनॉमी', समाचारों में, कॉन्फ्रेंस में या डिबेट्स में, इसके बारे में आपने कहीं न कहीं जरूर सुना होगा! केंद्र सरकार अब ब्लू इकोनॉमी पर अपना फोकस तेजी से बढ़ा रही है. इसका सीधा मतलब समुद्र से होने वाली आय से है. इसमें समुद्री जीवों के निर्यात से लेकर समुद्री रास्ते से कारोबार तक, सबकुछ शामिल है. ब्लू इकॉनॉमी को समुद्री परिवहन, समुद्री पर्यटन, समुद्री व्यापार और समुद्र के रास्ते होने वाली हर आर्थिक गतिविधि से जोड़कर देखा जाता है.
मीलों हम आ चुकें, मीलों जाना बाकी है... ब्लू इकोनॉमी पर यही बात लागू होती है. 2015 के बाद से ही केंद्र सरकार ने ब्लू इकोनॉमी को लेकर कई ऐलान किए हैं और इनका फायदा भी मिला है. पॉलिसी एक्सपर्ट अविनाश चंद्र के मुताबिक, आइलैंड्स का डेवलपमेंट भी इस दायरे में आता है.
समुद्री व्यापार बढ़ेगा, रोजगार भी मिलेगा
समुद्री मार्ग से कारोबार आसान बनाने और मैरीटाइम लॉजिस्टिक्स को सरल बनाने पर भी सरकार का फोकस है. केंद्र सरकार ने डीप ड्राफ्ट इनर हार्बर के त्वरित निर्माण और करीब 10,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से ग्रेट निकोबार में ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट के निर्माण का प्रस्ताव रखा है. प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक, इससे बड़े जहाज लंगर डाल सकेंगे और समुद्री व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी, साथ ही रोजगार के नये अवसर भी बढ़ेंगे.
ग्रेट निकोबार में ग्रीनफील्ड टाउनशिप
भारतीय विशाल खंड से 1,800 किलोमीटर पूर्व में स्थित ग्रेट निकोबार द्वीप इंडोनेशिया के सुमात्रा के करीब पड़ता है.
ये म्यांमार, थाईलैंड और मलेशिया से भी नजदीक (कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर) है.
ये द्वीपसमूह 1,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और यहां वर्तमान में करीब 8,000 लोग रहते हैं.
यहां एयरपोर्ट, बंदरगाह, पावर प्लांट और टाउनशिप, ये 4 परियोजनाएं आपस में जुड़ी हैं, जो ग्रेट निकोबार में नया ग्रीनफील्ड शहर बनाते हैं.
'विकास को मिलेगी नई गति'
जैसा कि हमने इस स्टोरी की शुरुआत में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अंडमान और निकोबार के द्वीपों का नामकरण परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं को और भारतीय सशस्त्र बलों को समर्पित किया था.
नामकरण करते हुए PM मोदी ने कहा था, 'ये क्षेत्र भविष्य में देश के विकास को नई गति प्रदान करेगा. मुझे विश्वास है, हम एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे, जो सक्षम है और आधुनिक विकास की ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा.'
Video: किन वीरों के नाम पर हुआ नामकरण?
PM बोले- सिंगापुर बनाना मुश्किल नहीं
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि 1,300 आइलैंड्स में से कुछ आइलैंड सिंगापुर के आकार के हैं और उनकी सरकार इस पर काम कर रही है. उन्होंने कहा, 'कुछ आइलैंड तो करीब-करीब सिंगापुर इतने बड़े हैं. इसका मतलब ये समझें कि भारत के लिए नया सिंगापुर बनाना कोई मुश्किल काम नहीं हैं. अगर हम लग जाएं तो हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.'
लक्षद्वीप में भी बड़ी परियोजनाएं
प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में लक्षद्वीप में 1,150 करोड़ रुपये लागत की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया. इनमें हेल्थकेयर, वाटर रिसोर्सेज, एनर्जी, एजुकेशन और टेक्नोलॉजी सहित विभिन्न सेक्टर्स के प्रोजेक्ट्स शामिल हैं, जो इस द्वीपसमूह के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी.
अविनाश चंद्र कहते हैं कि इन आइलैंड्स को अंदर, भारत के केंद्र से जोड़ने और बाहर, दुनिया से जोड़ने के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है और INDIA@2047 यानी 2047 तक विकसित भारत के संकल्प में इन आइलैंड्स का विकास भी पूरी तरह से शामिल है.