छगन भुजबल की महाराष्ट्र कैबिनेट में वापसी; क्या सियासी समीकरण साधने की हो रही है कोशिश

छगन भुजबल महाराष्ट्र में OBC का सबसे बड़ा चेहरा हैं. मंत्रिमंडल में उनको शामिल नहीं किए जाने से OBC समुदाय में भारी नाराजगी थी. दूसरी तरफ, धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद OBC मतदाताओं में नाराजगी थी.

Source: ANI

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल की महाराष्ट्र सरकार में एक बार फिर से वापसी हो गई है. मुंबई में राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह में उन्होंने मंत्रीपद की शपथ ली. इस मौके पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और एकनाथ शिंदे मौजूद रहे. ऐसा तय माना जा रहा है कि धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद खाली हुए खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग का जिम्मा उन्हें सौंपा जाएगा.

छगन भुजबल के 'कमबैक' के मायने क्या हैं

अब ये खबर इतनी बड़ी क्यों है, वो इसलिए कि विधानसभा चुनाव में जीत के बाद पहले मंत्रिमंडल में छगन भुजबल को शामिल नहीं किए जाने से राजनीतिक गलियारों में बड़ी हलचल मची थी. कयास लगाए जाने लगे कि उन्हें साइडलाइन करने की तैयारी है. खुद छगन भुजबल ने सार्वजनिक रूप से नाराजगी जाहिर करते हुए सीधे अजित पवार पर निशाना साधा था. इसके बाद अब छह महीने के बाद छगन भुजबल की एक बार फिर मंत्रिमंडल में वापसी हुई है.

छगन भुजबल महाराष्ट्र में OBC का सबसे बड़ा चेहरा हैं. मंत्रिमंडल में उनको शामिल नहीं किए जाने से OBC समुदाय में भारी नाराजगी थी. दूसरी तरफ, धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद OBC मतदाताओं में नाराजगी थी. इस नाराजगी को दूर करना जरूरी था. उनको दोबारा कैबिनेट में शामिल करके उस नाराजगी को दूर करने की कोशिश की गई है. इसके अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस उत्तर महाराष्ट्र और मराठवाडा के OBC मतदाताओं पर भी निशाना साधन की कोशिश कर रही है. आने वाले स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं और महानगरपालिका चुनावों के नजरिए से भी भुजबल की मंत्रिमंडल में एंट्री को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की भी इच्छा थी कि छगन भुजबल मंत्रिमंडल में लौटें. फडणवीस खुद चाहते थे कि खाली हुए मंत्री पद पर भुजबल को बिठाया जाए. ये भी कहा जा रहा है कि भुजबल ने फडणवीस के जरिए अजित पवार से मंत्री पद के लिए आग्रह किया था.

कौन हैं छगन भुजबल

15 अक्टूबर 1947 को छगन भुजबल का जन्म नासिक में हुआ. उन्होंने मुंबई के वीजेटीआई से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. युवावस्था में उन्होंने खेती और खेती से जुड़े व्यवसाय किए. शुरू से ही उन्होंने राज्य के सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में रुचि दिखाई. शाहू, फुले, अंबेडकर के विचारों को बढ़ावा देते हुए उन्होंने 1 नवंबर 1992 को समता परिषद की स्थापना की.

1973 में मुंबई महानगरपालिका में चुने जाने के बाद छगन भुजबल की राजनीतिक यात्रा शुरू हुई. 1973 से 1984 तक वे महानगरपालिका में विपक्षी नेता रहे. इसके बाद 1985 में उन्होंने मुंबई के महापौर के रूप में काम किया. 1991 में वे दूसरी बार महापौर बने. 1985 से 1990 तक दो बार मुंबई के मझगांव से विधानसभा के लिए चुने गए. नवंबर 1991 में वे राजस्व मंत्री, आवास और झुग्गी सुधार जैसे विभागों के 1995 तक मंत्री रहे. अप्रैल 1996 में उन्होंने विधान परिषद में विपक्षी नेता के रूप में भी काम किया.

1999 में जब शरद पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना की, तब से वे इसके सदस्य हैं. अप्रैल 2002 से 23 दिसंबर 2003 तक वे उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री भी रहे. 2004 में येवला विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा में चुने गए.

नवंबर 2004 से 3 दिसंबर 2008 तक वे सार्वजनिक निर्माण मंत्री रहे. 8 दिसंबर 2008 को उन्होंने तीसरी बार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. 2009 में दूसरी बार, 2014 में तीसरी बार और 2019 में लगातार चौथी बार येवला विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा में चुने गए.

महाविकास आघाडी सरकार में 28 नवंबर 2019 से उन्हें खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई. महायुति सरकार में शामिल होने के बाद 2 जुलाई 2023 को फिर से खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री की जिम्मेदारी दी गई. 23 नवंबर 2024 को पांचवीं बार येवला विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए.