राज्य प्रशासन की मनमानी, पेपर लीक और आरक्षण; UP BJP ने हाईकमान को सौंपी रिपोर्ट, लोकसभा चुनाव में हार की वजह बताईं

रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के सभी क्षेत्रों में BJP के वोट शेयर में 8% की गिरावट देखी गई है.

Source: X/Yogi Adityanath

उत्तर प्रदेश BJP (Uttar Pradesh) ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में पार्टी के खराब प्रदर्शन पर शीर्ष नेतृत्व को एक रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में राज्य में लोकसभा चुनाव में कमजोर प्रदर्शन के कारणों का विश्लेषण किया गया है.

प्रदेश BJP में जारी अंतर्कलह की खबरों के बीच आई इस रिपोर्ट में कॉन्ट्रैक्ट पर कर्मचारियों की भर्ती, प्रशासन की मनमानी, पेपर लीक, आरक्षण विरोधी लहर, कुछ खास जातियों में जनसमर्थन गंवाए जाने और अन्य वजहों को जिम्मेदार बताया है.

रिपोर्ट में 40,000 लोगों के फीडबैक

UP BJP ने चुनाव की कमियों का एनालिसिस करते हुए 15 पेज की रिपोर्ट सौंपी है. NDTV रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अयोध्या (Ayodhya) और अमेठी (Amethi) जैसी प्रमुख सीटों पर खास तवज्जो देने के साथ-साथ, बाकी प्रदेश में पार्टी के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए लगभग 40,000 लोगों से फीडबैक लिया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के तमाम इलाकों में पार्टी के वोट शेयर में 8% की तक गिरावट देखी गई है.

पार्टी के शीर्ष नेताओं से प्रदेश नेताओं की मुलाकात

BJP अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी (Bhupendra Chaudhary) और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya )ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से दिल्ली में मुलाकात की.

इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा चुनावी हार के लिए ओवर कॉन्फिडेंस को जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद प्रदेश के BJP नेताओं में आपसी कलह की अटकलें तेज हो गई हैं.

रिपोर्ट में उल्लेखित बड़े कारण

राज्य की रिपोर्ट में BJP के कमजोर प्रदर्शन के छह बड़े कारणों की पहचान की गई है, जिनमें प्रशासनिक मनमानी, पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष, लगातार पेपर लीक और सरकारी पदों में कॉन्ट्रैक्ट पर कर्मचारियों की नियुक्ति शामिल है. माना गया है कि कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्तियों से पार्टी की आरक्षण विरोधी इमेज बनी.

NDTV की रिपोर्ट में एक वरिष्ठ BJP नेता ने कहा, 'विधायक के पास कोई पावर नहीं है. जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate) और अधिकारी शासन चलाते हैं. इससे हमारे कार्यकर्ता अपमानित महसूस कर रहे हैं. वर्षों से RSS और BJP ने एक साथ काम कर समाज में मजबूत संबंध बनाए हैं. अधिकारी पार्टी कार्यकर्ताओं की जगह नहीं ले सकते.'

पेपर लीक से विपक्ष को मिला फायदा

एक दूसरे नेता ने कहा कि राज्य में पिछले तीन साल में कम से कम 15 पेपर लीक हुए हैं. उन्होंने कहा, 'सरकारी नौकरियों में कॉन्ट्रैक्ट पर कर्मचारियों को भरा जा रहा था, जिसने हमारे आरक्षण विरोधी होने के विपक्ष के भ्रामक नैरेटिव को ही मजबूत किया.'

BJP को कुर्मी और मौर्य जातियों का नहीं मिला समर्थन

रिपोर्ट यह भी बताती है कि कुर्मी और मौर्य जातियां इस बार BJP से दूर हो गईं और पार्टी केवल एक तिहाई दलित वोट हासिल करने में सफल रही. BSP के वोट शेयर में 10% की कमी आई है, जबकि कांग्रेस ने UP के तीन क्षेत्रों में अपनी स्थिति में सुधार किया है. इन्हीं वजहों से नतीजे प्रभावित हुए हैं.

राज्य यूनिट ने ये भी पाया कि टिकटों के तेजी से वितरण के कारण पार्टी का कैंपेन जल्दी चरम पर था. छठे और सातवें चरण तक कार्यकर्ताओं में थकान शुरू हो गई.

रिपोर्ट में कहा गया है, 'वरिष्ठ नागरिकों में पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) जबकि युवाओं में अग्निवीर और पेपर लीक जैसी चिंताएं घर कर गईं.'

SP का जोरदार प्रदर्शन

लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने उत्तर प्रदेश की 80 में से 37 सीटें हासिल कीं, जबकि 2019 में SP को महज 5 सीटें मिली थीं. BJP 62 सीटों से घटकर 33 सीटों पर आ गई, जिससे पूरे देश में पार्टी की सीटों में गिरावट आई.

किन क्षेत्रों में रहा सबसे कमजोर प्रदर्शन?

BJP के अनुसार,पार्टी का सबसे कमजोर प्रदर्शन पश्चिम और काशी (वाराणसी) क्षेत्रों में था, जहां उसने 28 सीटों में से सिर्फ 8 सीटें जीतीं. ब्रज (पश्चिमी यूपी) में, पार्टी ने 13 में से 8 सीटें जीतीं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर के क्षेत्र में BJP को 13 में से केवल 6 सीटें मिलीं, जबकि अवध क्षेत्र (जिसमें लखनऊ, अयोध्या, फैजाबाद शामिल हैं) में BJP को 16 में से सिर्फ 7 सीटों पर जीत हासिल हुई.

कानपुर-बुंदेलखंड में BJP अपना पिछला प्रदर्शन करने में नाकाम रही और 10 में से केवल 4 सीटें ही हासिल कर पाई.

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