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भारतीय बाजारों में सोमवार को जबरदस्त गिरावट देखने को मिल रही है. सेंसेक्स, निफ्टी ने अपने कई महत्वपूर्ण स्तर तोड़ दिए हैं. सेंसेक्स और निफ्टी में 2% की गिरावट देखने को मिल रही है.
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निफ्टी-50 कंपनियों की 3.2 लाख करोड़ रुपये की मार्केटकैप साफ हो चुका है, जबकि BSE की लिस्टेड कंपनियों की 8.9 लाख करोड़ रुपये की मार्केट कैप साफ हो चुकी है.
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अब सवाल ये है कि इतनी बड़ी गिरावट आई क्यों, आखिर ऐसा क्या हो गया जो बाजार को रास नहीं आ रहा है. सोमवार को बाजार खुलते ही क्यों औंधे मुंह गिर पड़े. इसके लिए कोई एक फैक्टर जिम्मेदार नहीं है, बल्कि कई कारण हैं.
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दूसरी तिमाही में ज्यादा कंपनियों ने बहुत खराब नतीजे पेश किए. जिसकी वजह से बाजार में निराशा फैली, FIIs ने लगातार बिकवाली जारी रखी.
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FPI ने अक्टूबर में 1.14 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है, जो कि अक्टूबर में भी किसी एक महीने में सबसे ज्यादा है.
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ऑटो कंपनियों ने अक्टूबर में बिक्री के निराशाजनक आकड़े पेश किए हैं. मारुति, टाटा मोटर्स या ह्युंदई की अक्टूबर में बिक्री त्योहारों के बावजूद ज्यादा उत्साहजनक नहीं रही.
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अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों के लिए 5 नवंबर को वोटिंग होनी है. इससे पहले भारतीय बाजार भी थोड़ा आशंकित हैं. क्योंकि रिपब्लिकन उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप को डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस से कड़ी टक्कर मिल रही है.
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आमतौर पर बुधवार को आने वाली फेडरल रिजर्व की पॉलिसी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की वजह से इस बार गुरुवार को आएगी. बाजार 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती को डिस्काउंट करके चल रहा है, लेकिन जेरोम पॉवेल की कमेंट्री पर सबकी नजरें टिकी होंगी
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70 डॉलर तक फिसलने के बाद कच्चा तेल एक बार फिर से 75 डॉलर तक चढ़ चुका है. दरअसल, OPEC+ जो कि पहले दिसंबर से 1.8 लाख बैरल तेल का उत्पादन बढ़ाने वाला था, उसने इसे एक महीने के लिए टाल दिया है.
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डॉलर के मुकाबले रुपया और कमजोर हो गया है, रुपये ने सोमवार को 84.12 का नया ऑल टाइम लो बनाया है. रुपये की लगातार कमजोरी की वजह से भी मार्केट सेंटीमेंट्स खराब हुए हैं.