Google Antitrust Case: गूगल को तगड़ा झटका; अमेरिकी कोर्ट ने कहा- सर्च मार्केट में मोनोपॉली बनाने के लिए कंपनी ने अपनाए अवैध तरीके

अमेरिकी सरकार के मुताबिक डिफॉल्ट पोजीशन से गूगल को दुनिया का सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला सर्च इंजन बनाने में मदद मिली, इससे सालाना 300 बिलियन डॉलर्स से ज्यादा की आय पैदा हुई.

प्रतीकात्मक फोटो

गूगल को एक अमेरिकी कोर्ट से एंटीट्रस्ट केस में तगड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गूगल ने सर्च मार्केट में मोनोपॉली बनाने के लिए अवैध तरीके अपनाए हैं.

जज अमित मेहता ने कहा कि Alphabet (गूगल की पेरेंट कंपनी) ने स्मार्टफोन्स और वेब ब्रॉउजर्स पर अपने सर्च इंजन को डिफॉल्ट सर्च इंजन बनाने के लिए जो 26 बिलियन डॉलर खर्च किए, उससे इस बाजार में दूसरे कंपिटीटर्स के सफल होने का रास्ता बंद हो गया.

ये एंटीट्रस्ट केस में गूगल के खिलाफ सरकार की पहली बड़ी जीत मानी जा रही है. गूगल ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने की योजना बनाई है.

जज ने कहा, 'गूगल के डिस्ट्रीब्यूशन एग्रीमेंट्स के जरिए जनरल सर्च सर्विस मार्केट का एक बड़ा हिस्सा बंद हो जाता है, जो कंपिटीटर्स के मौके खत्म करता है.'

मोनोपॉली से विज्ञापन के मनमाने दाम बढ़ाने की छूट मिली

मेहता ने आगे कहा कि फोन और ब्रॉउजर्स पर मोनोपॉली बनाने के बाद गूगल बिना किसी परवाह के ऑनलाइन एडवर्टाइजिंग की कीमतों को मनमाने ढंग से बढ़ाने में सक्षम हुआ.

सरकार का आरोप है कि गूगल ने ऑनलाइन और इससे जुड़ी एडवर्टाइजिंग पर मोनोपॉली बनाकर बैठा हुआ है. गूगल ने एप्पल, सैमसंग और दूसरी कंपनियों को बीते कई सालों में प्राइम प्लेसमेंट के लिए अरबों रुपये दिए हैं.

सरकार के मुताबिक इस डिफॉल्ट पोजीशन से गूगल को दुनिया का सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला सर्च इंजन बनाने में मदद की. जिससे बदले में 300 बिलियन डॉलर्स से ज्यादा की सालाना आय पैदा हुई, जिसमें ज्यादातर हिस्सा सर्च एड्स का है.

भारत में भी बढ़ी मुसीबतें

Alliance Of Digital India Foundation (ADIF) ने सोमवार को CCI (Competition Commission Of India) में गूगल के खिलाफ एंटी कंपिटीटिव प्रैक्टिस करने के आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई है.

ADIF की शिकायत में ऑनलाइन सर्च और डिसप्ले एडवर्टाइजमेंट में गूगल के प्रभुत्व और 'कथित खराब रवैये' को निशाना बनाया गया है.

ADIF के मुताबिक बड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर गूगल का नियंत्रण और रेवेन्यू के लिए एडवर्टाइजिंग पर इसकी निर्भरता, भारतीय बिजनेसेज के लिए प्रतिकूल है और इससे कंपिटीशन कमजोर होता है.

ADIF पहले भी गूगल के एड रैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता ना होने के आरोप लगाकर इसे ब्लैक बॉक्स एप्रोच कहता रहा है, जहां एडवर्टाइजर्स को उन सर्विसेज के बारे में स्पष्टता नहीं होती, जिनके लिए वे पैसे दे रहे हैं.