भारत में OpenAI के सैम ऑल्टमैन, कहा- भारत को फुल AI स्टैक पर काम करना चाहिए, मेरे पिछले बयान को गलत समझा गया

ऑल्टमैन ने अपनी पहले की कुछ टिप्पणियों को लेकर सफाई भी दी, उन्होंने कहा कि फाउंडेशनल मॉडल्स बनाने के बारे में उनके बयान को गलत तरह से लिया गया.

Source: NDTV Profit

'भारत को AI स्टैक के भीतर सब कुछ करते रहना चाहिए, ये देखना काफी आश्चर्यजनक है कि भारत ने अब तक क्या किया है. ये कहना है दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में धूम मचाने वाले OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन का. सैम ऑल्टमैन भारत के AI के क्षेत्र में बढ़ते कदमों पर चर्चा करने के लिए फाउंडर्स और पॉलिसीमेकर्स के साथ डेवलपर प्रोग्राम में भाग लेने के लिए दिल्ली में हैं. वो एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के कई देशों के दौरे पर हैं और बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले हैं.

दूसरा सबसे बड़ा बाजार है भारत

सैम ऑल्टमैन ने इस कार्यक्रम में कहा कि भारत OpenAI के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार है, उन्होंने इस बात की पैरवी भी की कि भारत को Development से Deployment तक AI स्टैक के हर पहलू में शामिल होना चाहिए. यानी भारत को एक फुल AI स्टैक तैयार करना चाहिए, जो कि शुरुआत से लेकर अंत तक सबकुछ हो.

ऑल्टमैन की दो साल में ये दूसरी भारत यात्रा है, जो ऐसे समय पर हो रही है, जब OpenAI को चीन के डीपसीक ने कड़ी टक्कर दी है. चीन के सस्ते मॉडल ने पूरी दुनिया ध्यान अपनी ओर खींचा है. इस मॉडल को बनाने में सिर्फ 60 लाख डॉलर ही खर्च हुए हैं और कुछ ही महीने में इसे तैयार किया गया है.

इस चर्चा में केंद्रीय IT मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद रहे, उन्होंने कहा कि भारत टेक्नोलॉजी को लोकतांत्रिक बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और IndiaAI मिशन के जरिए फुल AI स्टैक पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि OpenAI जीवन को काफी आसान बनाता है.

भारत पर की गई पिछली टिप्पणी पर सफाई

ऑल्टमैन ने अपनी पहले की कुछ टिप्पणियों को लेकर सफाई भी दी, उन्होंने कहा कि फाउंडेशनल मॉडल्स बनाने के बारे में उनके बयान को गलत तरह से लिया गया. उन्होंने कहा कि OnenAI ने अभी तक मॉडल डिस्टिलेशन में महत्वपूर्ण तरक्की नहीं की है, जो कि AI मॉडल को ज्यादा सक्षम बनाने के मकसद से एक तकनीक है. उन्होंने ये भी माना कि AI मॉडल की ट्रेनिंग एक महंगा काम रहा है.

दरअसल, सैम ऑल्टमैन ने साल 2023 में ये एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ChatGPT जैसे फाउंडेशनल मॉडल बनाने वाले OpenAI के साथ मुकाबला करना भारत के लिए निराशानजनक होगा. उनके इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी.

सैम ऑल्टमैन ने कहा 'हर साल, इंटेलीजेंस की दी गई यूनिट की लागत 10 गुना कम हो रही है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि दुनिया को कम AI हार्डवेयर की जरूरत है. दवाओं में AI के इस्तेमाल के बारे में उन्होंने कहा कि बीमारियों को तेजी से ठीक किया जा सकता है, और हालांकि ये मॉडल रिचर्सर्स की मदद कर सकते हैं, लेकिन ये अकेले कैंसर का इलाज नहीं करेंगे, वे भविष्य में सक्षम हो सकते हैं.