देश के सबसे बड़े कारोबारी दिग्गजों में से एक हस्ती 'रतन टाटा' (Ratan Tata) का बुधवार को बीमारी के चलते निधन हो गया. 86 वर्षीय रतन टाटा ने 1991 से 2012 के बीच लगातार 21 वर्षों तक टाटा ग्रुप की कमान संभाली थी.
रतन टाटा के शीर्ष पर होने के दौरान, ग्रुप का वो दौर माना जाता था, जब नमक से लेकर सॉफ्टवेयर बनाने वाला टाटा ग्रुप भारत-केंद्रित यूनिट से ग्लोबल बिजनेस जॉएंट बन गया.
टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के चेयरमैन रहते हुए रतन टाटा ने कई बड़े व्यवसायिक फैसले लिए, जिसने ग्रुप की कामयाबी में नया अध्याय जोड़ा. आइए जानते हैं, कुछ ऐसे ही बड़े फैसलों के बारे में.
1). JLR का अधिग्रहण
रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा समूह ने लग्जरी कार मेकर कंपनी जगुआर लैंड रोवर (Jaguar Land Rover) का अधिग्रहण करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था, जो ब्रिटेन की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखती है.
कंपनी को टाटा मोटर्स ने 2.3 बिलियन डॉलर में अपना बनाया था. वित्त वर्ष 2024 में, JLR ने29 बिलियन पाउंड का अपना अब तक का सबसे अधिक रेवेन्यू अर्जित किया था, जबकि नेट प्रॉफिट करीब 2.6 बिलियन पाउंड था.
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2). लखटकिया कार नैनो
चार पहिया वाहनों को आम लोगों के लिए किफायती बनाने के विजन के साथ रतन टाटा ने नैनो प्रोजेक्ट की अगुवाई की. ये आम लोगों के लिए कार का सपना पूरा करने वाला प्रोजेक्ट बना. साल 2008 में महज 1 लाख की शुरुआती कीमत पर इस मिनी कार का अनावरण किया गया.
हालांकि मध्यम वर्गीय सिंगल फैमिली वाले बड़े बाजार के बावजूद नैनो को वो सफलता नहीं मिली, जिसकी उम्मीद थी. साल 2012 में इसकी अधिकतम सेल 74,527 यूनिट्स तक पहुंची और उसके बाद से कम होती गई. साल 2018 में, कंपनी ने नैनों कार बनाना बंद कर दिया.
3). टेलीकॉम सेक्टर में एंट्री
रतन टाटा जब शीर्ष पर थे, तभी टाटा समूह ने घरेलू टेलीकॉम मार्केट में एंट्री मारी थी. ग्रुप की ब्रांच, टाटा टेलीसर्विसेज ने जापानी टेलीकॉम प्रमुख NTT डोकोमो के सहयोग से नवंबर 2008 में टाटा डोकोमो (Tata Docomo) लॉन्च किया.
कम टैरिफ के साथ, टाटा डोकोमो ने भारतीय बाजार में पैर जमा लिया. नवंबर 2010 में, ये 3G सेवा देने वाली पहली प्राइवेट कंपनी बन गई. हालांकि लगातार घाटे के कारण साल 2014 में NTT डोकोमो इस वेंचर से बाहर हो गई. साल 2017 तक, इसका ऑपरेशन बंद हो गया और बिजनेस का अधिग्रहण भारती एयरटेल ने कर लिया.
4). डिफेंस सेक्टर में बड़ा काम
रतन टाटा के कार्यकाल के दौरान टाटा संस के प्रमुख निर्णयों में से एक 'एयरोस्पेस और डिफेंस सॉल्यूशन बिजनेस का पता लगाने के लिए टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स (TASL) की शुरुआत थी. 2007 में लॉन्च के साथ TASL, डिफेंस सेक्टर में प्रवेश करने वाली पहली प्राइवेट कंपनी बन गई.
बाद के वर्षों में TASL अपने कुछ कंपटीटर्स से पिछड़ गई. हालांकि कंपनी ने वित्त वर्ष 2024 में 342 करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया. कंपनी अपना मार्केट शेयर बढ़ाने को लेकर महत्वाकांक्षी है. पिछले महीने, इसने भारतीय बाजार में व्यावसायिक अवसरों का पता लगाने के लिए अमेरिकी एयरोस्पेस प्रमुख लॉकहीड मार्टिन के साथ साझेदारी की घोषणा की है.
5). एयर इंडिया की घर वापसी
टाटा ग्रुप की ओर से शुरू की गई एयरलाइंस एक बार फिर टाटा की हो गई है. साल 2021 में जब एयर इंडिया का स्वामित्व टाटा ग्रुप के पास आया, तब रतन टाटा, टाटा संस के चेयरमैन नहीं थे, लेकिन वे कंपनी के मानद चेयरमैन बने रहे. घाटे में चल रही इस एयरलाइन को 18,000 करोड़ रुपये में खरीदा गया.
इस अधिग्रहण ने एयर इंडिया के लिए घर वापसी का संकेत दिया, जिसका संचालन देश की आजादी के बाद राष्ट्रीयकरण से पहले टाटा समूह किया करती थी. रतन टाटा ने तब कहा था, 'टाटा के पास पहले के वर्षों में अपनी छवि और प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करने का अवसर होगा.' वित्त वर्ष 2024 में, एयर इंडिया ने अपने शुद्ध घाटे को 60% तक कम करके 4,444 करोड़ रुपये कर दिया. ये बहुत बड़ी उपलब्धि से कम नहीं!