खराब क्‍वालिटी के स्टील आयात पर लगे लगाम; केंद्र ने रखा 12% प्रोविजनल टैरिफ का प्रस्ताव

DGTR ने कहा है कि अमेरिका के टैरिफ के कारण दूसरे देशों से सस्ता स्टील भारत में भेजा जा रहा है.

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केंद्र सरकार ने कुछ स्टील प्रॉडक्‍ट्स के आयात पर 12% का अस्थाई (प्रोविजनल) सेफगार्ड ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव रखा है. इसका मकसद भारतीय स्टील इंडस्‍ट्री को चीप क्‍वालिटी वाले स्‍टील आयात से बचाना है. कारण कि अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने के बाद चीन जैसे देशों से स्‍टील का आयात बढ़ गया है.

कॉमर्स मिनिस्‍ट्री के तहत काम करने वाली डायरेक्टरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (DGTR) ने कहा है कि अमेरिका के टैरिफ के कारण दूसरे देशों से सस्ता स्टील भारत में भेजा जा रहा है. इससे भारतीय कंपनियों को नुकसान हो रहा है. इसलिए 200 दिनों के लिए 12% शुल्क लगाने की सिफारिश की गई है.

कब से लागू होगा फैसला?

ये प्रस्ताव अभी सार्वजनिक किया गया है. 30 दिन तक इस पर सुझाव और आपत्तियां मंगाई जाएंगी. उसके बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा.

DGTR का कहना है कि अगर ये शुल्क तुरंत नहीं लगाया गया तो भारतीय कंपनियों को और नुकसान होगा. कई कंपनियां अपने प्लांट बंद करने पर मजबूर हो सकती हैं और भविष्य में निवेश करने की योजना भी रोक सकती हैं.

कहां इस्‍तेमाल होती है ये स्टील?

  • कंस्ट्रक्शन

  • ऑटोमोबाइल

  • ट्रैक्टर

  • कैपिटल गुड्स

  • व्हाइट गुड्स (जैसे फ्रिज, वॉशिंग मशीन)

  • इलेक्ट्रिकल पैनल्स

  • फर्नीचर

संघ ने की थी शिकायत?

भारतीय स्टील एसोसिएशन ने DGTR से शिकायत की थी कि पिछले कुछ समय में स्टील के आयात में अचानक और तेज़ बढ़ोतरी हो रही है, जिससे घरेलू स्टील उद्योग को नुकसान हो रहा है.

एसोसिएशन से कई बड़ी स्‍टील कंपनियां जुड़ी हैं; जिनमें आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया, JSW स्टील, भूषण पावर एंड स्टील, जिंदल स्टील एंड पावर, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) जैसे नाम शामिल हैं.

भारतीय बाजार पर असर

घरेलू स्टील कंपनियों के शेयरों में तेजी देखने को मिल सकती है, क्योंकि ये कदम उन्हें विदेशी सस्ती स्टील से राहत देगा. निवेशकों का भरोसा बढ़ सकता है, खासकर उन कंपनियों में जो निर्माण और ऑटो सेक्टर के लिए स्टील सप्लाई करती हैं.

हालांकि टैरिफ लागू होने से इंपोर्टेड स्टील थोड़ी महंगी होगी, जिससे कुछ सेक्टर्स में लागत थोड़ी बढ़ सकती है. जनवरी से अब तक ऑटोमोबाइल कंपनियों ने कच्चे माल की लागत बढ़ने का हवाला देते हुए 2 बार वाहनों की कीमतें बढ़ाने का ऐलान कर चुकी हैं.

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