अमेरिकी बांड खरीद कार्यक्रम हल्का करने की स्थिति से निपटने को तैयार है भारत

चिदंबरम ने आज सुबह रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन से अमेरिकी बांड खरीद कार्यक्रम में कमी किए जाने की घोषणा के असर के बारे में बात की और कहा, यदि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसले का कोई असर होता है तो उससे निपटने के लिए हम मई 2013 के मुकाबले ज्यादा अच्छी तरह तैयार हैं।

वित्तमंत्री पी चिंबदरम ने पूंजी बाजार को आश्वस्त करने वाले एक बयान में आज कहा कि देश अमेरिकी फेडरल रिजर्व के बॉन्ड खरीद कार्यक्रम में कटौती से पैदा हालात से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि बाजार पहले से ही इस संभावना को मानकर चल रहे थे।

उन्होंने एक बयान में कहा, सरकार का मानना है कि बाजार पहले से मान कर चल रहा था कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व इस तरह का निर्णय कर सकता है इसलिए ऐसे हल्के बदलाव से बाजार में कोई आश्चर्य नहीं होगा।
 
चिदंबरम ने रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन से अमेरिकी बांड खरीद कार्यक्रम में कमी किए जाने की घोषणा के असर के बारे में बात की और कहा, यदि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसले का कोई असर होता है तो उससे निपटने के लिए हम मई 2013 के मुकाबले ज्यादा अच्छी तरह तैयार हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की कल रात की घोषणा के बाद आज सुबह बंबई शेयर बाजार के सेंसेक्स में शुरुआती कारोबार में करीब 190 अंक की गिरावट आई। विदेशी विनियम बाजार में रुपया भी शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिर 62.44 के स्तर पर पहुंच गया था।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंकों के पास नकदी का प्रवाह बढ़ाने के उद्देश्य से हर माह 85 अरब डॉलर के बांड खरीदने का विशेष कार्यक्रम चला रखा है। अब अगले मास से वह मासिक बांड खरीद 75 अरब डॉलर ही रखेगा।

चिदंबरम ने कहा, यह हल्की कटौती है और अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने कोई क्रमिक कमी करने जैसी घोषणा नहीं की है। वित्त मंत्री ने कहा कि फेडरल रिजर्व अमेरिकी श्रम बाजार में अच्छा सुधार होने तक मूल्य स्थिरता को ध्यान में रखते हुए सरकारी प्रतिभूतियों व सरकारी एजेंसी की गारंटी वाले आवास ऋण आधारित प्रतिभूतियों की खरीद रखी रखेगा।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने इससे पहले जब मई में पहली बार संकेत दिया था कि वह वह बांड खरीद कार्यक्रम को धीरे-धीरे कम करेगा तो वैश्विक बाजार में हल-चल मच गई थी। हालांकि बाद में उसने इस फैसले को टाल दिया था।

लेखक NDTV Profit Desk
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