भारत और यूरोपियन यूनियन के प्रमुख वार्ताकारों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (मुक्त व्यापार समझौता) को लेकर चल रही एक और चरण की बातचीत खत्म हो गई है. एक अधिकारी के मुताबिक इस बातचीत में दोनों पक्ष इस बात को लेकर सहमत हुए हैं कि समझौते को दो चरणों में पूरा किया जाएगा.
अधिकारी ने बताया '16 मई को 11 राउंड की बातचीत खत्म हुई'. अनिश्चितता से भरे वैश्विक व्यापार माहौल को देखते हुए, खासतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ को लेकर उठाए गए कदमों की वजह से दोनों पक्ष इस बात पर राजी हुए हैं कि एग्रीमेंट को दो चरणों में लागू किया जाएगा.
भारत-EU डील से क्या हासिल होगा?
दोनों पक्षों के बीच गुड्स, सर्विसेज और इनवेस्टमेंट जैसे जरूरी क्षेत्रों के अपने बाजारों को खोलना चर्चा का केंद्र था. भारत पहले भी ऑस्ट्रेलिया के साथ दो चरणों में ट्रेड समझौतों को लागू कर चुका है. अमेरिका के साथ भी वो यही परंपरा अपना रहा है.
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने पिछले महीने कहा था, 'अगर कुछ मुद्दे जो व्यापार के लिए बहुत महत्वपूर्ण नहीं हैं, उन्हें हल करने में कुछ और समय लग सकता है, तो बेहतर है कि प्रमुख व्यापार मुद्दों पर ध्यान लगाया जाए. इसलिए, हम कहते हैं कि सबसे पहले, हम यूरोपीय संघ के साथ इस बात पर भी चर्चा कर रहे हैं कि हम सबसे पहले क्या कर सकते हैं, जहां हम तेजी से काम कर सकते हैं'.
ऑटोमोबाइल और मेडिकल डिवाइसेज में टैरिफ कटौती की मांग के अलावा, यूरोपीय यूनियन वाइन, स्पिरिट्स, मांस, पोल्ट्री जैसे प्रोडक्ट्स में टैक्स कटौती और एक मजबूत IP (Intellectual Property ) व्यवस्था चाहता है.
अगर ये डील सफलतापूर्वक पूरी हो जाती है, तो यूरोपीय यूनियन को भारतीय सामानों का एक्सपोर्ट, जैसे कि रेडीमेड गारमेंट, फार्मास्यूटिकल्स, स्टील, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स और इलेक्ट्रिकल मशीनरी ज्यादा कंपिटिटिव हो सकते है.
23 क्षेत्रों को वार्ता में शामिल किया गया
1 मई को वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल समझौते पर चर्चा करने के लिए ब्रुसेल्स में थे. जून 2022 में, भारत और 27 देशों के यूरोपीय यूनियन ब्लॉक ने आठ साल से अधिक के अंतराल के बाद फिर से बातचीत शुरू की. बाजारों को खोलने के स्तर पर मतभेदों की वजह से 2013 में ये रुक गई थी. 28 फरवरी को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय कमीशन के प्रेसिडेंट ने इस साल के अंत तक एक बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते को करने पर सहमति जताई.
भारत-यूरोपीय यूनियन व्यापार समझौते की वार्ता में 23 नीतिगत क्षेत्र या चैप्टर शामिल हैं, जिनमें वस्तुओं में व्यापार, सेवाओं में व्यापार, निवेश, स्वच्छता, पौध संरक्षण उपाय, व्यापार में तकनीकी बाधाएं, ट्रेड रेमेडीज, उत्पत्ति के नियम (Rules of Origin), कस्टम्स और ट्रेड सुविधा, प्रतिस्पर्धा, व्यापार रक्षा, सरकारी खरीद, विवाद निपटान, बौद्धिक संपदा अधिकार, भौगोलिक संकेत और सस्टेनेबल डेवलपमेंट शामिल हैं.
भारत-EU के बीच अभी ट्रेड की स्थिति
2023-24 में यूरोपीय यूनियन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 137.41 बिलियन डॉलर (75.92 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट और 61.48 बिलियन डॉलर का इंपोर्ट) था, जिससे ये वस्तुओं के लिए सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बन गया.
भारत के कुल एक्सपोर्ट में यूरोपीय यूनियन का हिस्सा लगभग 17% है, जबकि भारत को यूरोपीय यूनियन का एक्सपोर्ट उसके कुल विदेशी शिपमेंट का 9% है. इसके अलावा, 2023 में भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच सर्विसेज में द्विपक्षीय व्यापार 51.45 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है.
दोनों पक्ष एक मुक्त व्यापार समझौते, एक निवेश संरक्षण समझौते और भौगोलिक संकेतों पर एक समझौते पर बातचीत कर रहे हैं.