पट्टेदारों की मुश्किल हुई दूर, IBC नियमों में संशोधन से एयरलाइंस से वापस ले सकेंगे एयरक्राफ्ट, Go First का क्‍या होगा?

गो फर्स्ट ने मई में NCLT के समक्ष स्वैच्छिक इंसॉल्वेंसी रेजॉल्यूशन प्रोसीडिंग यानी दिवाला समाधान कार्यवाही के लिए आवेदन किया था

(Source: Company Website)

दिवालिया हो चुकी एयरलाइंस से एयरक्राफ्ट वापस लेने के रास्ते से पट्टेदारों के लिए सबसे बड़ा रोड़ा हट गया है. IBC कोड में इसे लेकर एक बड़ा बदलाव किया गया है.

सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 (IBC-2016) में नए संशोधन के बाद एयरक्राफ्ट्स, एयरक्राफ्ट इंजन, एयरफ्रेम और हेलीकॉप्टर के लिए लेनदेन, व्यवस्था, एग्रीमेंट्स पर मोराटोरियम से छूट रहेगी, यानी इन पर ये लागू नहीं होगा.

क्या होता है मोरेटोरियम?

IBC के तहत, 'मोराटोरियम' का मतलब कानूनी तौर पर वो अवधि है, जिस दौरान क्रेडिटर्स को कॉर्पोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (Corporate Insolvency Resolution Process) से गुजरने वाले देनदार से अपने लोन की वसूली के लिए कोई भी कानूनी कार्रवाई करने से रोका जाता है.

अगर ये संशोधन पूरी तरह से लागू किया जाता है, तो ये गो फर्स्ट (Go First) के इंसॉल्वेंसी मामले में घोषित मॉराटोरियम पर असर डालेगा.

गो फर्स्ट का इंसॉल्वेंसी केस

मई में, गो फर्स्ट ने NCLT के समक्ष स्वैच्छिक इंसॉल्वेंसी रेजॉल्यूशन प्रोसीडिंग यानी दिवालिया समाधान कार्यवाही के लिए आवेदन किया था. एयरलाइन ने अपनी फाइनेंशियल दिक्कतों के लिए प्रैट एंड व्हिटनी (Pratt & Whitney)के समस्याग्रस्त इंजनों को जिम्मेदार ठहराया.

गो फर्स्ट के अनुसार, प्रैट एंड व्हिटनी के इंजन के साथ समस्याओं के चलते दिसंबर 2019 (7%) की तुलना में दिसंबर 2020 तक 31% और दिसंबर 2022 तक 50% विमान ग्राउंडेड हो गए.

लेसर्स का विरोध

SMBC कैपिटल एविएशन, GAL, CDB एविएशन, सोनोरन एविएशन कंपनी और MSPL एविएशन सहित गो फर्स्ट के कई लेसर्स ने एयरलाइन के दिवालिया आवेदन का विरोध किया है.

उन्होंने तर्क दिया कि इंसॉल्वेंसी एप्लिकेशन स्वीकार होने से पहले ही एयरलाइन के साथ उनका एग्रीमेंट समाप्त हो गया था और इसलिए विमान उन्हें वापस कर दिए जाने चाहिए.

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