भारत से अमेरिका को होने वाले दवा निर्यात पर खतरा मंडरा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी सरकार ने सोमवार को दवाइयों और संबंधित चीजों के राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर को लेकर जांच शुरू कर दी है. भारत से अमेरिका को होने वाला सालाना निर्यात 10 बिलियन डॉलर का है. इस जांच से पूरी इंडस्ट्री खतरे में पड़ गई है.
ये जांच को अमेरिकी कॉमर्स विभाग ने शुरू किया है. इसमें ये आकलन किया जाएगा कि देश की विदेशी फार्मास्युटिकल आयात पर निर्भरता से उसके घरेलू हेल्थकेयर सिस्टम पर किस स्तर तक खतरा है.
भारत अमेरिका के टॉप पांच फार्मास्युटिकल सप्लायर्स में शामिल
नुवामा डेटा के मुताबिक भारत अमेरिका के टॉप पांच फार्मास्युटिकल सप्लायर्स में शामिल है. इसके अलावा इनमें आयरलैंड, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और अन्य यूरोपीय देश भी हैं. 2015 और 2023 के बीच भारत की अमेरिकी फार्मास्युटिकल आयात में हिस्सेदारी 6% से बढ़कर 11% पर पहुंच गई.
इसके मुकाबले यूरोपीय सप्लायर्स ने अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाया या बरकरार रखा है. आयरलैंड की हिस्सेदारी 28% और जर्मनी की 21% है.
भारत की कितनी हिस्सेदारी है?
रिसर्च फर्म ने कहा था कि भारत की अमेरिका के कुल फार्मास्युटिकल आयात में करीब 6% हिस्सेदारी मौजूद है. भारत फिनिश्ड ड्रग और एक्टिव फार्मास्युटिकल आइटम्स दोनों की सप्लाई करता है. 2023 में अमेरिका ने करीब $170 बिलियन के फार्मास्युटिकल गुड्स का आयात किया है. भारत का योगदान करीब $10 बिलियन है.
अमेरिका में जांच अमेरिकी व्यापार विस्तार अधिनियम की धारा 232 के तहत आती है, जो सरकार को ये निर्धारित करने की अनुमति देती है कि क्या कुछ खास आयात राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाते हैं. इस धारा का इस्तेमाल पहले स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ लगाने के लिए किया गया है.