Madhabi Puri Buch: मार्केट फ्रॉड के खिलाफ मिशन मोड, सिस्टम को आसान बनाने के लिए उठाए कदम; कौन हैं SEBI की पहली महिला चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच?

Madhabi Puri Buch ने IIM अहमदाबाद से पढ़ाई की है, 1989 में वे ICICI बैंक से जुड़ गईं और अगले 2 दशक ग्रुप के साथ ही काम किया. जानें पूरा सफर

Source: BQ Prime

हिंडनबर्ग (Hindenburg) को कुछ दिन पहले SEBI ने अदाणी ग्रुप से जुड़ी पहली रिपोर्ट पर एक नोटिस भेजा था. इसमें रिपोर्ट आने के पहले शॉर्ट पोजीशन लेने से जुड़ी जानकारी मांगी गई थी. पर हिंडनबर्ग ने सीधा जवाब देने के बजाए सीधे SEBI चीफ का ही चरित्र हनन करने की कोशिश की.

लेकिन इसका कोई असर होता दिख नहीं रहा है. बाजार ने पूरी तरह हिंडनबर्ग को नकार दिया है. मार्केट दिग्गजों के साथ-साथ राजनीतिक जगत और सोशल मीडिया पर आम लोगों ने SEBI चीफ का समर्थन किया है.

दरअसल माधबी पुरी बुच का करियर ही इतना शानदार रहा है कि हिंडनबर्ग जैसे बड़े हमले के बावजूद भी उनकी पर्सनल इंटीग्रिटी पर धब्बा नहीं लगा और चारों तरफ से उनके लिए आवाज उठी.

2022 में SEBI चीफ, उससे पहले 2017 से होल टाइम डायरेक्टर के तौर पर उनका कार्यकाल काफी सक्रियता भरा रहा है.

एक तरफ उन्होंने छोटे इन्वेस्टर्स को गैरजरूरी नुकसान से बचाने की कोशिश की, दूसरी तरफ उन्होंने IPO और अन्य रेगुलेशंस को आसान करने की कवायद पर जोर दिया. मतलब मार्केट से जुड़े ऑपरेशंस को आसान बनाना उनका बड़ा एजेंडा रहा है.

माधबी पुरी बुच मार्केट नियमों के पालन पर भी कड़क हैं, ऐसा लगता है जैसे वे बाजार और निवेशकों से जुड़े हर तरह के संभावित फ्रॉड को खत्म करने के मिशन में जुटी हैं.

शुरुआती करियर और ICICI में एंट्री

58 साल की माधबी पुरी बुच की स्कूली शिक्षा फोर्ट कॉन्वेंट स्कूल मुंबई और कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी, मुंबई से हुई है. उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज दिल्ली से गणित में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद वे IIM अहमदाबाद पहुंची.

IIM से निकलने के बाद माधबी 1989 में ICICI बैंक से जुड़ीं और अगले 2 दशक ग्रुप के साथ ही बिताए. इस दौरान उन्होंने अलग-अलग पदों पर काम किया, कई डिपार्टमेंट्स का काम देखा. 2009 में वे ICICI सिक्योरिटीज की पहली महिला MD और CEO बनीं. साथ ही ICICI बैंक के बोर्ड में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के तौर पर भी उन्होंने काम किया.

सिंगापुर से SEBI चीफ तक का सफर

ICICI बैंक से इस्तीफा देने के बाद वे 2011 में ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल में काम करने के लिए सिंगापुर चली गईं. जहां वे 2017 तक रहीं. इस दौरान वे कई कंपनियों में बोर्ड मेंबर भी रहीं. बुच ने न्यू डेवलपमेंट बैंक में कंसल्टेंट के तौर पर भी काम किया.

2017 में उनकी नियुक्ति होल टाइम डायरेक्टर के तौर पर SEBI में हुई. इस दौरान उनके पास सर्विलांस, म्यूचुअल फंड्स और कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम्स जैसे पोर्टफोलियो थे. वे 4 अक्टूबर 2021 तक इस पद पर थीं.

1 मार्च 2022 को माधबी पुरी बुच ने SEBI की पहली महिला चेयरपर्सन के तौर पर शपथ लेकर इतिहास रचा. उन्हें तीन साल के लिए इस पद पर नियुक्त किया गया है.

डायनामिक रहा है अब तक का कार्यकाल

बीते दो साल में उनकी बाजार में होने वाली अनियमितताओं पर कड़ी नजर रही है, उनका पूरा प्रयास रहा है कि छोटे निवेशकों के साथ किसी तरह का धोखा ना हो. साथ ही कंपनियों के लिए भी काम करने का सही माहौल बने. उनके लिए चीजें आसान हों. इस दौरान उन्होंने:

  • मार्केट फ्रॉड पर कड़े कदम उठाए: ब्रोकर्स प्रिवेंशन सिस्टम हो या सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाने वालों पर कार्रवाई का मामला, SEBI की जबरदस्त सक्रियता दिखी.

  • इनसाइडर ट्रेडिंग पर लगाम लगाने के लिए रिश्तेदारों का दायरा बड़ा करने का सुझाव दिया है.

  • मार्केट में उथल-पुथल को काबू करने के लिए अफवाहों पर रोक लगाने की कोशिश. कंपनियों को अब 24 घंटे में पुष्टि या खंडन करने का निर्देश दिया गया.

  • छोटे निवेशकों के लिए बेसिक डीमैट अकाउंट लिमिट बढ़ाई, F&O में सट्टेबाजी रोकने के लिए नियम कड़े करने की कोशिश.

  • IPO लाने की प्रक्रिया को आसान बनाने की कोशिश के तहत AI बेस्ड प्रोसेसिंग पर फोकस है.

  • सोशल मीडिया फिनफ्लूएंसर्स पर शिकंजा कसा, ताकि लोग गलत बहकावे में ना आएं. इस दौरान 'बाप ऑफ चार्ट' समेत कुछ फिनफ्लूएंसर्स पर कार्रवाई भी की गई.

इसके अलावा भी SEBI ने मार्केट रेगुलेशंस को बेहतर करने के लिए कई कदम उठाए हैं, कुलमिलाकर माधबी पुरी बुच का कार्यकाल जबरदस्त ढंग से डायनामिक रहा है.

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