SBI ने जियो पेमेंट्स बैंक में बेची पूरी हिस्सेदारी, जियो फाइनेंशियल की पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी बनेगा पेमेंट्स बैंक

इस अधिग्रहण को रिजर्व बैंक की मंजूरी मिलना बाकी है. RBI मंजूरी के बाद 45 दिनों के भीतर अधिग्रहण पूरा होने की उम्मीद है.

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SBI ने जियो पेमेंट्स बैंक (Jio Payments Bank) में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच दी है. देश के सबसे बड़े बैंक ने 7.9 करोड़ शेयर 104 करोड़ रुपये में जियो फाइनेंशियल को बेची है. जियो फाइनेंशियल के बोर्ड ने मंगलवार को शेयरों की खरीदारी को मंजूरी दी.

कंपनियों की ओर से की गई एक्सचेंज फाइलिंग में कहा गया है कि जियो फाइनेंशियल के पास जियो पेमेंट्स बैंक में 82.17% हिस्सेदारी मौजूद है. अब पेमेंट्स बैंक उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी बन जाएगी. इस अधिग्रहण को रिजर्व बैंक की मंजूरी मिलना बाकी है. RBI मंजूरी के बाद 45 दिनों के भीतर अधिग्रहण पूरा होने की उम्मीद है.

अप्रैल 2018 में हुआ था लॉन्च

इसके अलावा SBI की एग्जीक्यूटिव कमिटी ने JPBL में बैंक की पूरी हिस्सेदारी को JFSL को 13.22 रुपये/ शेयर में विनिवेश की भी मंजूरी दी. अगस्त में कंपनी ने अपने फाइनेंशियल सर्विसेज पोर्टफोलियो को बढ़ाने की रणनीति के तहत 68 करोड़ रुपये में 6.8 करोड़ शेयर खरीदे थे.

अप्रैल 2018 में JPBL को SBI और रिलायंस जियो के बीच 30:70 जॉइंट वेंचर के तौर पर लॉन्च किया गया था. SBI की 30% होल्डिंग की वैल्यू 69 करोड़ रुपये से ज्यादा है.

SBI क्यों लिया ये फैसला?

SBI ने JPBL में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने का फैसला हितों के टकराव की वजह से उठाया है. JPBL की पेमेंट्स सर्विसेज SBI के योनो प्लेटफॉर्म के जरिए मिलती हैं. अरुंधति भट्टाचार्य ने SBI की चेयरपर्सन के तौर पर ये डील्स की थीं.

उन्होंने अक्तूबर 2017 में अपने कार्यकाल के बाद एक साल के कूलिंग पीरियड के खत्म होने के कुछ दिनों बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज में बतौर एडिशनल इंडिपेंडेंट डायरेक्टर जॉइन किया था.

SBI और RIL का संबंध हितों के टकराव से जुड़े सवाल खड़ा करता है. दूसरा हितों का टकराव मंजू अग्रवाल के मामले में हैं, जो JPBL के बोर्ड में हैं. अग्रवाल बैंक की पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. SBI में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने योनो प्लेटफॉर्म लॉन्च किया था. वो नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन के लिए SBI की नॉमिनी डायरेक्टर भी रह चुकी हैं.

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