स्विट्जरलैंड ने भारत का 'मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN)' का दर्जा खत्म किया, नेस्ले विवाद के बाद उठाया कदम

दोनों देशों के बीच डबल टैक्सेशन से बचने के लिए 30 साल पहले 1994 में ये करार हुआ था. बाद में 2010 में मोस्ट फेवर्ड नेशन के क्लॉज को जोड़ने के लिए मुख्य करार को संशोधित किया गया था.

(फाइल फोटो)

स्विट्जरलैंड ने नेस्ले मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए भारत से MFN (Most Favored Nation) का दर्जा वापस ले लिया है. दोनों देशों के बीच डबल टैक्सेशन से बचने के लिए 30 साल पहले 1994 में करार हुआ था. बाद में 2010 में मोस्ट फेवर्ड नेशन के क्लॉज को जोड़ने के लिए मुख्य करार को संशोधित किया गया था.

भारतीय कंपनियों को चुकाना होगा ज्यादा टैक्स

अब स्विट्जरलैंड में काम कर रही भारतीय कंपनियों को ज्यादा टैक्स चुकाना होगा. इस कदम से भारत में स्विस निवेश प्रभावित हो सकता है. क्योंकि अब डिविडेंड पर ज्यादा टैक्स (पहले जितना 10% ही) चुकाना होगा.

2023 में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया था, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि इंडियन एंटिटीज के लिए स्विट्जरलैंड सरकार द्वारा डिविडेंड पर टैक्स रेट कम करने का मतलब ये नहीं है कि भारत भी बिना विशेष सरकारी नोटिफिकेशन के ऐसा करने पर मजबूर हो.

नानगिआ एंडरसन के M&A टैक्स पार्टनर संदीप झुनझुनवाला कहते हैं, 'सस्पेंशन से स्विट्जरलैंड में काम करने वाली भारतीय कंपनियों को ज्यादा टैक्स चुकाना होगा.'

EY इंडिया के नेशनल टैक्स लीडर समीर गुप्ता कहते हैं, 'अगर भारत जरूरी नोटिफिकेशन जारी कर देता है, तो स्विट्जरलैंड भी करार के समझौतों को दोबारा चालू कर सकता है.'

स्विट्जरलैंड ने घटाया था डिविडेंड पर टैक्स रेट

दरअसल 2010 के मोस्ट फेवर्ड नेशन क्लॉज के मुताबिक, अगर भारत OECD के किसी सदस्य देश के डिविडेंड पर टैक्स की दरों में कटौती करता है, तो ये दरें स्विट्जरलैंड पर भी लागू होंगी. 2020 में जब OECD में लिथुआनिया और कोलंबिया OECD में शामिल हुए, तो MFN क्लॉज की व्याख्या करते हुए स्विट्जरलैंड ने भारतीय एंटिटीज के डिविडेंड पर टैक्स रेट 10% से कम कर 5% कर दी. लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया.