नोमुरा ने कहा, भारतीय स्टील कंपनियों की स्थिति मजबूत, जानें 5 पॉजिटिव फैक्टर

भारत की स्टील खपत वार्षिक आधार पर 15% बढ़ी थी. नोमुरा का अनुमान है कि FY25 और FY26 में देश में स्टील खपत सालाना आधार पर 6.5% और 7% बढ़ेगी.

Photo: Tata Steel Website

दुनियाभर की मेटल कंपनियों ने कोविड-19 महामारी के बाद उससे पहले कि तुलना में उच्च रिटर्न दिया है. मेटल कंपनियां अपने ऐतिहासिक औसत से अधिक वैल्यूएशन पर कारोबार कर रही हैं. नोमुरा ने कहा कि ट्रेंड ये आगे भी जारी रह सकता है क्योंकि मजबूत घरेलू मांग, पॉजिटिव ग्लोबल फैक्टरों ने भारतीय स्टील कंपनियों के लिए अच्छी स्थिति पैदा कर दी है.

भारतीय स्टील कंपनियों के लिए पॉजिटिव फैक्टर्स

मजबूत घरेलू मांग: भारतीय स्टील इंडस्ट्री ऑटो और कंस्ट्रक्शन सेक्टर की मांग में मजबूत ग्रोथ देख रहा है. अप्रैल-जुलाई 2024 के आंकड़ों के अनुसार, भारत की स्टील खपत वार्षिक आधार पर 15% बढ़ी थी. नोमुरा का अनुमान है कि FY25 और FY26 में देश में स्टील खपत सालाना आधार पर 6.5% और 7% बढ़ेगी.

स्टील की कीमतें: ग्लोबल और भारतीय लौह अयस्क और स्टील की कीमतों में पिछले एक साल में तेजी से गिरावट आई है, जिसकी मुख्य वजह चीन का प्रभाव है. इसके विपरीत, ऑस्ट्रेलियाई कोकिंग कोयले की कीमतें डाउन ट्रेंड पर हैं, वर्तमान में $190 प्रति टन पर. कोकिंग कोयले की कीमतों में ये कमी स्टील की गिरती कीमतों के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती है.

इक्विटी की लागत: नोमुरा इस बात पर प्रकाश डालता है कि JSW स्टील और जिंदल स्टील एंड पावर डिलीवरेजिंग से अपने कैपिटल स्ट्रक्चर में सुधार कर रहे हैं, जिससे उनकी कॉस्ट ऑफ कैपिटल कम होने की उम्मीद है. ऐतिहासिक रूप से हाई डेट लेवल ने इक्विटी लागत को ऊंचा रखा है, लेकिन नोमुरा जल्द ही कमी की उम्मीद करता है.

भारतीय स्टील कंपनियां की ग्लोबल लेवल पर अच्छी स्थिति: नोमुरा का कहना है कि कम लेबर कॉस्ट के कारण भारतीय स्टील कंपनियां ग्लोबल स्तर पर सबसे अच्छी स्थिति में हैं.

ग्लोबल लिक्विडिटी साइकिल: नोमुरा का मानना है कि ग्लोबल लिक्विडिटी स्टील की कीमतों के साथ मजबूत संबंध दिखाता है. ब्रोकरेज को उम्मीद है कि जापान को छोड़कर सभी प्रमुख केंद्रीय बैंक अगले 2 सालों में मॉनिटरी पॉलिसी को सरल करेंगे, जो स्टील सेक्टर के लिए फायदेमंद है.

वैल्यूएशन हाई रहेगा

  • नोमुरा का मानना है कि भारतीय स्टील कंपनियों के लिए ऐतिहासिक स्तरों से अधिक वैल्यूएशन पर कारोबार जारी रहेगा.

  • कंपनियां ग्रोथ के लिए प्रयासों को जारी रखेंगी

  • घरेलू मांग में ग्रोथ जो आगे एक्सपोर्ट पर निर्भरता को कम करेगी

  • मॉनिटरी पॉलिसी को आसान बनाने से मदद मिलेगी

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