SEBI ने डेरिवेटिव सेगमेंट में एंट्री और एग्जिट के नियम बदले, कौन अंदर-कौन बाहर?

SEBI के बदले नियमों के मुताबिक - किसी शेयर के लिए 'मीडियन क्वार्टर सिग्मा ऑर्डर साइज' या MQSOS को 25 लाख रुपये से बढ़ाकर 75 लाख रुपये कर दिया है.

Source: NDTV Profit

मार्केट रेगुलेटर SEBI ने वायदा बाजार (F&O) में एंट्री और एग्जिट के नियमों में बदलाव किया है. शुक्रवार को SEBI ने इसे लेकर एक सर्कुलर जारी किया है. जिसमें किसी शेयर को डेरिवेटिव सेगमेंट से हटाने और शामिल करने के लिए क्राइटेरिया में बदलाव किया है.

कौन होगा अंदर, कौन होगा बाहर?

नुवामा रिसर्च के मुताबिक - लिक्विडिटी को नियंत्रित करने और मार्केट में हेरफेर को रोकने के लिए संशोधित किए गए नियमों की वजह से 18 शेयर ऐसे हैं, जो डेरिवेटिव सेगमेंट से बाहर हो जाएंगे. जिसमें गुजरात गैस, यूनाइटेड ब्रुअरीज, डॉ. लाल पैथलैब्स शामिल हैं.

करीब 80 कंपनियों - जिनमें जोमैटो और जियो फाइनेंशियल सर्विसेज जैसी कंपनियां इसमें शामिल होने की मजबूत दावेदार भी है, ब्रोकरेज ने 30 अगस्त के एक नोट में कहा कि नए नियम साल 2025 में बदलावों में निफ्टी 50 में दो नामों को भी आगे बढ़ा सकते हैं.

IRFC, RVNL, NHPC, मझगांव डॉक, अदाणी टोटल गैस और JSW इंफ्रास्ट्रक्चर उन 80 शेयरों में शामिल हैं जो इसका हिस्सा होंगे.

क्या हैं SEBI के बदले हुए नियम 

SEBI के बदले नियमों के मुताबिक - किसी शेयर के लिए 'मीडियन क्वार्टर सिग्मा ऑर्डर साइज' या MQSOS को 25 लाख रुपये से बढ़ाकर 75 लाख रुपये कर दिया है. MQSOS एक पैमाना होता है जिससे किसी शेयर की लिक्विडिटी को मापा जाता है, अब इसकी लिमिट को बढ़ा दिया गया है, जिससे शेयरों में हेरफेर करना और कठिन हो गया है.

इसके अलावा, मिनिमम मार्केट वाइड पोजीशन लिमिट या MWPL को 500 करोड़ रुपये से तीन गुना बढ़ाकर 1,500 करोड़ रुपये कर दिया गया है. मिनिमम एवरेज डेली डिलिवरी 3.5 गुना बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये से 35 करोड़ रुपये कर दी गई है.

मतलब ये कि SEBI छह महीने की अवधि में कैश मार्केट में जो भी शेयर अपने प्रदर्शन के आधार पर इन संशोधित नियमों को पूरा करेगा, वो डेरिवेटिव सेगमेंट में एंट्री ले पाएगा, और जो शेयर लगातार तीन महीने तक इन पैमानों पर खरा नहीं उतरेंगे, वो डेरिवेटिव सेगमेंट से बाहर कर दिए जाएंगे. हालांकि मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट्स अपनी समाप्ति तक वैध रहेंगे.

एक बार जब कोई शेयर डेरिवेटिव सेगमेंट से हटा दिया जाता है, तो उसे इस सेगमेंट में आखिरी बार ट्रेड करने की तारीख से एक साल तक दोबारा पेश नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा, SEBI स्टॉक डेरिवेटिव के लिए एक नया 'प्रोडक्ट सक्सेस फ्रेमवर्क' (PSF) लागू कर रहा है, जो इंडेक्स डेरिवेटिव के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

PSF को भी डेरिवेटिव बाजार में बने रहने के लिए शेयरों को कई क्राइटेरिया को पूरा करने की जरूरत होती है.

  • ट्रेडिंग गतिवधि (Trading Activity): कम से कम 15% ट्रेडिंग मेंबर्स या 200 मेंबर्स, जो भी कम हो, उनको औसतन हर महीने स्टॉक के डेरिवेटिव में ट्रेड करना चाहिए

  • ट्रेडिंग दिन (Trading Days): समीक्षा अवधि के दौरान शेयर की ट्रेडिंग कम से कम 75% ट्रेडिंग दिनों में होनी चाहिए

  • टर्नओवर (Turnover): एवरेज डेली टर्नओवर (फ्यूचर एंड ऑप्शंस प्रीमियम संयुक्त रूप से) कम से कम 75 करोड़ रुपये होना चाहिए

  • ओपन इंटरेस्ट (Open Interest): एवरेज डेली ओपन इंटरेस्ट कम से कम 500 करोड़ रुपये होना चाहिए