Explainer: NEET 2024 के रिजल्ट का पूरा विवाद क्या है? किन-किन बिंदुओं पर उठ रहे सवाल?

NTA को लेकर कई अदालतों में याचिकाएं दाखिल की गई हैं. ऐसे में ये देखना जरूरी है कि NEET के रिजल्ट का पूरा विवाद क्या है

Source: PTI

मेडिकल कॉलेजों के अंडर ग्रेजुएट कोर्स में दाखिले के लिए आयोजित परीक्षा- NEET (UG) 2024 इन दिनों विवादों में है. 4 जून को परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद से इसमें कई तरह की गड़बड़ियों के आरोप लग रहे हैं. इसको लेकर कई अदालतों में याचिकाएं दाखिल की गई हैं. ऐसे में ये देखना जरूरी है कि NEET के रिजल्ट का पूरा विवाद क्या है और इसमें किन-किन बिंदुओं पर सवाल उठ रहे हैं.

नीट (NEET) क्या है?

सबसे पहले कुछ बुनियादी जानकारी. राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (National Eligibility cum Entrance Test) को ही संक्षेप में 'नीट' (NEET)कहते हैं. देश के सरकारी या प्राइवेट, किसी भी तरह के मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए यह परीक्षा पास करना अनिवार्य है. इसके जरिए ही MBBS, डेंटल, आयुष, होम्योपैथी और अन्य मेडिकल कोर्स में एडमिशन मिलता है. परीक्षा आयोजित करवाने की जिम्मेदारी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA)पर है.

रिजल्ट पर विवाद क्यों?

इस साल देशभर में NEET (UG) 5 मई को आयोजित किया गया था. NTA ने इसका रिजल्ट 4 जून को जारी किया था. हालांकि NTA ने रिजल्ट जारी किए जाने की तारीख पहले 14 जून घोषित की थी.

तय वक्त से 10 दिन पहले रिजल्ट आना एक अनोखी बात है. आम तौर पर इस तरह के रिजल्ट तय तारीख पर ही घोषित किए जाते रहे हैं. हालांकि असल विवाद जिन मसलों को लेकर है, वे कहीं ज्यादा गंभीर हैं. इन्हें एक-एककर देखना उचित होगा.

720/720 लाने वाले कुल 67 उम्मीदवार

NEET में ऐसा रिजल्ट पहली बार हुआ है. कुल 720 में 720 अंक लाने वाले परीक्षार्थियों की तादाद इस बार अचानक बढ़कर 67 तक पहुंच गई, जो चौंकाने वाला आंकड़ा है. रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से 8 छात्र हरियाणा के एक ही परीक्षा केंद्र से हैं.

बता दें कि साल 2023 में पूरे के पूरे अंक हासिल करने वालों की तादाद सिर्फ 2 थी. साल 2022 में अधिकतम स्कोर 715 था, जो 4 स्टूडेंट ने हासिल किया था. 2021 में 3 स्टूडेंट को 720 में 720 अंक मिले थे.

718, 719 अंक आना संभव नहीं

रिजल्ट में एक स्टूडेंट को 718, एक को 719 अंक दिए गए, जो कि NEET के मार्किंग सिस्टम में संभव नहीं है. दरअसल, इस परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान है. इसमें एक सही उत्तर के लिए 4 अंक मिलते हैं, जबकि एक गलत उत्तर पर एक अंक काट लिए जाते हैं.

सवाल टच न करने पर कोई अंक नहीं मिलता है. ऐसे में किसी को 720 के बाद या तो 716 अंक मिल सकते हैं या 715. फिर 718, 719 नंबर कैसे आए? NTA का कहना है कि कुछ परीक्षार्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए जाने की वजह से ऐसा हुआ. लेकिन ये ग्रेस मार्क्स का चक्कर क्या है?

ग्रेस मार्क्स देने की वजह?

NTA का कहना है कि कुछ सेंटरों पर छात्रों को परीक्षा में कम समय दिए जाने के कारण या गलत मीडियम का प्रश्न-पत्र दिए जाने की वजह से उन्हें ग्रेस मार्क्स दिए गए. साथ ही फिजिक्स में एक सवाल के दो सही जवाब पाए गए.

NCERT की किताब के नए और पुराने एडिशन में अलग-अलग जवाब थे. इस वजह से कई को बोनस मार्क्स भी मिले. एजेंसी ने माना कि कुल 1563 स्टूडेंट को ग्रेस मार्क्स दिए गए. जानकारों का मानना है कि ग्रेस मार्क्स की वजह से मेरिट लिस्ट बुरी तरह प्रभावित हुई है.

NTA ने ग्रेस मार्क्स देने के लिए जो फॉर्मूला अपनाया, वह भी विवादास्पद है. ये वही फॉर्मूला है, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर CLAT 2018 में छात्रों को दिए गए थे. जानकारों का मानना है कि CLAT का फॉर्मूला NEET में लागू नहीं किया जा सकता.

वजह ये कि CLAT ऑनलाइन होता है, जबकि NEET ऑफलाइन. दोनों परीक्षाओं के पैटर्न और मार्किंग सिस्टम अलग-अलग हैं. साथ ही तब कोर्ट का निर्देश था कि इस ग्रेस सिस्टम को मेडिकल या इंजीनियरिंग एंट्रेस टेस्ट में लागू नहीं किया जा सकता है.

सबसे बड़ी बात कि NEET के ब्रोशर में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं था कि छात्रों को अगर ग्रेस मार्क्स दिए जाने की नौबत आई, तो वह किस फॉर्मूले से दिया जाएगा. अब ग्रेस का मामला भी कोर्ट पहुंच चुका है. हालांकि NTA ने ग्रेस मार्क्स के मामले में 'रिव्यू' के लिए एक कमेटी बनाई है.

रैंक का आधार आवेदन संख्या!

NTA ने NEET में समान अंक लाने वाले परीक्षार्थियों को जिस आधार पर रैंक दिया, वह भी विवादों में है. एजेंसी का कहना है कि समान अंक लाने वालों के बीच रैंक आवेदन संख्या के आधार पर दिया गया है.

माने जिसने सबसे पहले आवेदन किया, वह रैंक में ऊपर रहेगा. जैसे, 67 स्टूडेंट को 720 अंक आए. अब इनके बीच रैंक में वह ऊपर हो जाएगा, जिसने पहले आवेदन किया. सवाल उठ रहे हैं कि अगर NTA को ऐसा करना था, तो उसने ब्रोशर में इस बात का जिक्र क्यों नहीं किया?

पेपर लीक का आरोप

मीडिया में इस तरह की तमाम रिपोर्ट सामने आई, जिसमें आरोप लगाया गया कि 5 मई को परीक्षा शुरू होने से पहले, कुछ परीक्षा केंद्रों पर NEET UG का पेपर लीक हो गया था. अलग-अलग जगहों पर ऐसे मामले दर्ज कराए गए हैं.

इनमें से एक मामले की जांच बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU)कर रही है. जांच में लाखों के लेन-देन की बात आई और कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हुई. बिहार पुलिस ने लीक हुए पेपर से मिलान करने के लिए NTA से मूल प्रश्न-पत्र मांगा था, जिसे एजेंसी ने अब तक मुहैया नहीं करवाया है.

हालांकि NTA ने पेपर लीक होने के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है. एजेंसी का कहना है कि उसके पास हर प्रश्न-पत्र का पूरा हिसाब-किताब है.

ताजा स्थिति क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने पेपर लीक होने के आरोप में परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिका पर 11 जून को केंद्र और NTA को नोटिस जारी किया है. मामले की सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि इस परीक्षा की "पवित्रता प्रभावित हुई है", "हमें जवाब चाहिए".

हालांकि अदालत ने एडमिशन के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि CJI डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच 8 जुलाई को इस पर सुनवाई करने वाली है. साथ ही अब मौजूदा याचिका को भी अन्य याचिकाओं के साथ सुनवाई के लिए टैग कर दिया गया है.

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