Gelephu Mindfulness City: भारतीय सीमा पर बसा 'गांवों का शहर' होगा भूटान का ड्रीम प्रोजेक्‍ट, अदाणी ग्रुप ने बढ़ाया हाथ; अनोखे 'नेचर सिटी' की खासियतें जान लीजिए

भूटान, इस प्रोजेक्‍ट में भारत का साथ चाहता है और भारत की ओर से साथ देने के लिए सबसे पहले हाथ बढ़ाया है, अदाणी ग्रुप ने.

माइंडफुलनेस सिटी प्रोजेक्‍ट (Source: big.dk)

दुनिया के सबसे खुशहाल देशों में से एक भूटान, एक मेगा टाउनशिप प्रोजेक्‍ट पर काम कर रहा है. ये प्रोजेक्‍ट है- 'गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी'. इस टाउनशिप प्रोजेक्‍ट (Gelephu Mindfulness City) में सस्‍टेनेबल लिविंग के साथ-साथ ये भी परिभाषित करने की क्षमता है कि दुनिया में किसी अन्‍य की तुलना में ये कैसे एक वैश्विक मॉडल बन सकता है.

हिमालय पर्वत श्रृंखला से सटे हमारा पड़ोसी देश, दक्षिणी सीमा पर प्रस्‍तावित इस प्रोजेक्‍ट में भारत का साथ चाहता है और भारत की ओर से साथ देने के लिए सबसे पहले हाथ बढ़ाया है, एक बड़े अंतरराष्‍ट्रीय बिजनेस घराने अदाणी ग्रुप (Adani Group) के मालिक गौतम अदाणी (Gautam Adani) ने.

अदाणी ग्रुप ने यहां 1,000 वर्ग किलोमीटर के समतल इलाके में सोलर और पनबिजली प्लांट लगाने का प्रस्‍ताव दिया है. ग्रीन एनर्जी के अलावा इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर डेवलपमेंट से जुड़े कई और भी प्रस्‍ताव‍ अदाणी ग्रुप ने दिए हैं. गेलेफू (Gelephu) के नवनियुक्त गवर्नर लोटे शेरिंग (Lotay Tshering) ने बताया है कि अदाणी ग्रुप के साथ इंटरनेशनल एयरपोर्ट और इनलैंड पोर्ट बनाने पर भी बातचीत हुई है.

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अपनी तरह का अनोखा शहर

माइंडफुलनेस सिटी प्रोजेक्‍ट पूरा का पूरा एक शहर होगा, जो करीब 2,500 वर्ग किलोमीटर में फैला होगा. ये स्‍पेशल एडमिनिस्‍ट्रेटिव रीजन (SAR) यानी विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है, जहां की अपनी सरकार होगी, अपने लिए विशेष कानून बनाने की आजादी होगी और साथ ही अपनी एक स्‍वतंत्र न्‍यायपालिका भी होगी.

इस प्रस्‍तावित अनोखे शहर की खासियतें यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां ऐसा काफी कुछ अनोखा होगा, जो इसे दुनियाभर में खास बनाएगा. आइए थोड़ा विस्‍तार से समझने की कोशिश करते हैं.

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राजा वांगचुक की परिकल्‍पना

भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने 'माइंडफुलनेस सिटी' प्रोजेक्‍ट की परिकल्पना की है. इसके पीछे की प्रेरणा भूटान के लोगों के जीवन को बेहतर बनाना और भूटान को काफी आगे ले जाना है. एक ऐसी जगह, जहां लोग दुनिया भर के लोगों के साथ सद्भाव से रह सकें. इसी साल जून में गौतम अदाणी ने राजा वांगचुक से मुलाकात भी की थी. अब जब बात आगे बढ़ी है, जो गौतम अदाणी से इस कदम का स्‍वागत किया है.

गेलेफू 'माइंडफुलनेस सिटी' में दो संरक्षित क्षेत्र होंगे- एक नेशनल पार्क होगा और एक वन्यजीव अभयारण्य. इसमें ऐसी नदियां होंगी, जो रीन्‍यूएबल एनर्जी के जरिये 4,000 से 5,000 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता रखती हैं. इसमें जंगल है, जैविक गलियारे हैं और ये वन्यजीवों से भरा हुआ है. इसके अपने एग्रीकल्‍चर हब और छोटे कस्‍बे भी होंगे.

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इस शहर में लोग नेचर और बायोडायवर्सिटी यानी जैव विविधता का अनुभव करेंगे. भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने हाल ही में नई दिल्ली में NDTV नेटवर्क के वर्ल्ड समिट में कहा था कि इसे हम 'ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस 2.0' कहते हैं.

NDTV से खास बातचीत में उन्‍होंने कहा कि 'गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी' कई मायनों में भारत को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाएगी, क्योंकि इस शहर को जानबूझकर भारतीय सीमा (असम से सटे इलाके में) पर बनाया गया है.'

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'माइंडफुलनेस सिटी' गेलेफू में ही क्यों?

भूटान के प्रधानमंत्री ने कहा कि गेलेफू की धरती सुंदर और प्राचीन है. ये इलाका जैविक हॉटस्पॉट है, जिसमें क्‍लीन एनर्जी की पूरी संभावना है. उन्‍होंने राजा वांगचुक से भी पूछा था कि ये मेगा प्रोजेक्‍ट यहीं क्‍यों, थिम्‍पू या पारो के लिए ऐसे प्रोजेक्‍ट की परिकल्‍पना क्‍यों नहीं की जा रही, जहां पहले से ही एयरपोर्ट, नेशनल हाईवे जैसे इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर हैं.

PM तोबगे के सवाल का राजा वांगचुक ने एक शब्द में जवाब दिया. उन्‍होंने कहा-'भारत'.

फिर भूटान नरेश ने समझाया कि किस तरह भूटान का भविष्य भारत से जुड़ा हुआ है. अगर हम कोई अन्य स्थान चुनते हैं, तो ऐसी परियोजना सफल हो सकती है. इसकी अपनी चुनौतियां हो सकती हैं, लेकिन अगर हम भारत के साथ सीमा पर इसकी योजना बनाते हैं, तो ये अवधारणा ही इसे सफलता की ओर ले जाएगी, क्योंकि भूटान का भविष्य आंतरिक रूप से भारत से जुड़ा हुआ है.

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प्रधानमंत्री तोबगे ने ये वाकया याद करते हुए कहा कि राजा वांगचुक के जवाब के बाद उन्‍हें आखिरकार परियोजना का रणनीतिक महत्व समझ में आया. उन्होंने कहा, गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी प्रोजेक्‍ट केवल भूटान के बारे में नहीं है - ये भूटान और भारत, दोनों के बारे में है.

भूटान के PM तोबगे ने NDTV वर्ल्‍ड समिट में प्रणव अदाणी और जीत अदाणी से भी मुलाकात की थी.

शिक्षा-स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं से लैस शहर

एक बार तैयार हो जाने के बाद 'माइंडफुलनेस सिटी' पूरे देश के लगभग 2.5% भूभाग को कवर करेगा और साइज में पूरे सिंगापुर से बड़ा होगा. भूटान की राजधानी थिम्पू से इसकी तुलना काफी ज्‍यादा स्‍थानीय होगी. राजधानी थिम्पू महज 26 वर्ग किलोमीटर में है, जबकि गेलेफू शहर 2,500 वर्ग किलोमीटर से ज्‍यादा एरिया में फैला होगा.

इस शहर को रहने लायक पुलों की एक सीरीज के आसपास बनाया जाएगा. ये एक कम ऊंचाई वाला शहर होने की उम्मीद है, जिसमें अपनी यूनिवर्सिटी के साथ-साथ आधुनिक और पारंपरिक, दोनों तरह की चिकित्सा के लिए स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं होंगी. इसमें आध्यात्मिक केंद्र भी होंगे और कई सारे बाजार भी.

अद्व‍ितीय, अप्रतिम... ग्रीन और क्‍लीन

इस शहर में एक पनबिजली प्रोजेक्‍ट होगा. साथ ही एक हाइड्रोपोनिक ग्रीनहाउस बनाने की भी योजना है. ये 11 प्रमुख मोहल्लों में बंटा होगा, जो इलाके की पैंतीस नदियों और नहरों के साथ फैले होंगे. शहर का डिजाइन और नियोजन इस तरह से किया गया है कि मंडल, शहर के केंद्र की ओर मोहल्लों की तरह सार्वजनिक जगहों के साथ होंगे.

ये शहर पूरी तरह से भूटान के 'नेशनल हैप्‍पीनेस फिलॉसफी' पर आधारित होगा, जिसकी दुनिया भर में प्रशंसा की गई है. इस परियोजना की घोषणा के समय, भूटान ने कहा था कि 'माइंडफुलनेस सिटी' अद्वितीय होगी क्योंकि ये न केवल आर्थिक विकास को प्राथमिकता देगी, बल्कि हरेक रहवासी के हित का ध्‍यान रखेगी.

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शहर का अपना इंटरनेशनल एयरपोर्ट होगा, जिसका निर्माण शुरू हो चुका है. गेलेफू 'माइंडफुलनेस सिटी' इस बात पर फोकस करती है कि भविष्य के शहर कैसे होने चाहिए, उन्हें कैसे काम करना चाहिए और पर्यावरण के अनुकूल दृष्टिकोण के साथ सस्‍टेनेबल जीवन कैसे जीया जा सकता है.

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