अमेरिकी फेड ने ब्याज दर रखी स्थिर, कहा- टैरिफ ने बढ़ाई महंगाई को लेकर चिंता

ये फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब पॉलिसीमेकर्स ने दिसंबर के अपने अनुमानों के मुताबिक इस साल केवल दो बार ब्याज दरों में कटौती का संकेत दिया है, जबकि उन्होंने इकोनॉमिक आउटलुक में बढ़ती अनिश्चितता को भी स्वीकार किया है.

Source: Reuters

अमेरिका की फेडरल रिजर्व ने डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अपनी दूसरी पॉलिसी बैठक में ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है, ब्याज दरें 4.25%-4.50% पर बनी हुई हैं. ये लगातार दूसरी बैठक है, जिसमें फेड ने ब्याज दरों को स्थिर रखा है, जबकि सितंबर से दिसंबर 2024 तक तीन बार दरों में कटौती की थी.

2025 में होंगी 2 कटौतियां

फेड की ओर से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक आर्थिक दृष्टिकोण को लेकर अनिश्चितता बढ़ी है, और फेडरल ओपन मार्केट कमिटी ने अपने ड्यूल मैंडेट यानी अधिकतम रोजगार और स्थिर महंगाई के जोखिमों पर जोर दिया है.

हालांकि आर्थिक गतिविधि की रफ्तार बढ़ी है और लेबर मार्केट की स्थिति में भी अच्छा सुधार देखने को मिला है. महंगाई अब भी कुछ हद तक ऊंची है. कमिटी ने महंगाई को 2% के लक्ष्य पर लाने और फिलहाल सख्त नीति बनाए रखने के अपने संकल्प को दोहराया है.

फेड के "डॉट प्लॉट" जो कि पॉलिसीमेकर्स की रेट अपेक्षाओं को दर्शाता है, इससे पता चलता है कि 2025 में दरों में केवल 50 बेसिस प्वाइंट्स की कमी की उम्मीद है, जिसका मतलब है कि दो 25-25 bps की कटौतियां. यही अनुमान फेड के अधिकारियों का दिसंबर में भी था.

फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने पॉलिसी बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा 'हमें अपनी नीति की स्थिति को कंसोलिडेट करने के लिए जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है, और हम स्पष्टता मिलने का इंतजार करने के लिए अच्छी स्थिति में हैं. फेड का कहना है कि 2025 के अंत तक फेडरल फंड्स रेट का मीडियन 3.88% होने की संभावना है. पॉवेल ने संवाददाताओं से कहा, "हमें लगता है कि यहीं इंतजार करना सही रहेगा. अर्थव्यवस्था क्या कर रही है, इस बारे में अधिक स्पष्टता के लिए इंतजार करना होगा.'

टैरिफ और महंगाई को लेकर चिंता

ये फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब पॉलिसीमेकर्स ने दिसंबर के अपने अनुमानों के मुताबिक इस साल केवल दो बार ब्याज दरों में कटौती का संकेत दिया है, जबकि उन्होंने इकोनॉमिक आउटलुक में बढ़ती अनिश्चितता को भी स्वीकार किया है. पॉवेल ने स्वीकार किया कि महंगाई एक आर्थिक चिंता के रूप में एक बार फिर से उभरी है, आयात ड्यूटी लगाने का ट्रंप का अभियान आंशिक रूप से इसके लिए जिम्मेदार है. फेड चेयमरैन ने कहा कि हमारा मानना ​​है कि अब महंगाई बढ़ने लगी है, जिसका आंशिक कारण टैरिफ है और साल के दौरान आगे की ग्रोथ में पर ब्रेक लग सकता है.