एंप्लॉयर को वक्त पर नहीं दे पाए सही इनकम टैक्स रिजीम की जानकारी? रिटर्न भरते समय भी कर सकते हैं ये काम

जिन कर्मचारियों के साथ ऐसे हुआ होगा, उनकी सैलरी से TDS की कटौती भी नई टैक्स रिजीम के आधार पर हो रही होगी. जिन लोगों की टैक्स देनदारी नई टैक्स रिजीम में अधिक निकलती है, उनके लिए यह घाटे का सौदा है.

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इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने वालों के लिए इस बार एक नई बात हुई है, जिसका ध्यान रखना सबके लिए जरूरी है. नई बात ये है कि वित्त वर्ष 2023-24 से सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को डिफॉल्ट बना दिया है. नौकरीपेशा टैक्सपेयर्स (Salaried Taxpayers) के लिए इस बदलाव का मतलब ये है कि जिन लोगों ने अपनी कंपनी या एंप्लॉयर को वक्त रहते यह नहीं बताया होगा कि वे नई या पुरानी टैक्स रिजीम में किसे चुनना चाहते हैं, वे खुद ब खुद न्यू टैक्स रिजीम में डाल दिए गए होंगे.

जिन कर्मचारियों के साथ ऐसे हुआ होगा, उनकी सैलरी से TDS की कटौती भी नई टैक्स रिजीम के आधार पर हो रही होगी. जिन लोगों की टैक्स देनदारी नई टैक्स रिजीम में अधिक निकलती है, उनके लिए यह घाटे का सौदा है. लेकिन ऐसे नौकरीपेशा लोगों के सामने अब भी इस नुकसान की भरपाई करने का कोई उपाय है क्या?

टैक्स रिजीम बदलना मुमकिन है क्या?

दरअसल, इनकम टैक्स से जुड़े नियम टैक्सपेयर्स को आयकर रिटर्न भरते समय भी टैक्स रिजीम चुनने की छूट देते हैं. भले ही किसी टैक्सपेयर को वित्त वर्ष की शुरुआत में डिफॉल्ट के तौर पर न्यू टैक्स रिजीम में डाल दिया गया हो या उसने खुद कोई भी टैक्स रिजीम चुनी हो, आयकर रिटर्न दाखिल करते वक्त नए सिरे से किसी भी टैक्स रिजीम का चुनाव किया जा सकता है.

एंप्लॉयर अगर अपने कर्मचारी से टैक्स रिजीम चुनने को कहता है या उसे डिफॉल्ट रिजीम में डालता है, तो उसका उद्देश्य TDS कटौती करना होता है. लेकिन इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय सेलेक्ट की गई टैक्स रिजीम, दोनों में से कुछ भी हो सकती है. इसका मतलब ये है कि अगर आप किसी वजह से न्यू टैक्स रिजीम में डाल दिए गए थे या गलतफहमी के कारण उसे चुन लिया था, तो भी आप अपना रिटर्न भरते समय उस गलती को सुधार सकते हैं.

नौकरीपेशा लोगों को है हर साल टैक्स रिजीम चुनने की छूट

आयकर अधिनियम के जिस सेक्शन 115BAC के तहत नई टैक्स रिजीम को लागू किया गया है, वह उन सभी करदाताओं को हर साल आयकर रिटर्न भरते समय अपनी मनचाही टैक्स रिजीम चुनने की छूट देता है, जिनकी बिजनेस से कोई आमदनी नहीं है. लेकिन जिन लोगों की आमदनी का जरिया बिजनेस है, वे एक बार न्यू टैक्स रिजीम से बाहर जाने के बाद दोबारा उसे नहीं अपना सकते.

ITR भरते समय कैसे बदलें टैक्स रिजीम

CBDT ने वित्त वर्ष 2023-24 (AY 2024-25) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों के लिए जो फॉर्म जारी किए हैं, उनमें टैक्सपेयर्स से पूछा गया है, “क्या आप सेक्शन 115BAC(6) के तहत दिए गए ऑप्शन को चुनकर न्यू टैक्स रिजीम से बाहर आना चाहते हैं?” इसका डिफॉल्ट जवाब "No" या ‘नहीं’ है. अगर आप पुरानी टैक्स रिजीम को चुनना चाहते हैं, तो आपको इस सवाल के जवाब में "Yes" यानी “हां” को सेलेक्ट करना होगा. इसके बाद आपकी इनकम टैक्स देनदारी ओल्ड टैक्स रिजीम के हिसाब से जोड़ी जाएगी.

इन बातों का ध्यान रखना है जरूरी

आयकर रिटर्न भरते समय अगर आपको न्यू टैक्स रिजीम को बदलकर ओल्ड रिजीम में जाना है, तो इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

  • आपके एंप्लॉयर ने जो फॉर्म 16 और TDS सर्टिफिकेट दिए हैं, उनमें आपकी टैक्स कटौती नई रिजीम के हिसाब से दिखाई गई होगी.

  • इसका मतलब ये है कि आपने 31 मार्च तक टैक्स सेविंग के लिए, होम लोन के प्रिंसिपल व इंटरेस्ट के भुगतान और 80C के तहत निवेश समेत जो भी उपाय किए होंगे, उनका जिक्र आपके फॉर्म 16 में नहीं होगा.

  • ऐसे में आपको अपने इनकम टैक्स रिटर्न में इन सभी का ब्योरा अलग से भरना होगा.

  • इसके साथ ही आप जो भी छूट क्लेम करेंगे, उसके प्रूफ आपको सुरक्षित रखने होंगे, ताकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के मांगने पर दे सकें.

अगर आप रिटर्न भरते समय ओल्ड टैक्स रिजीम को छोड़कर न्यू टैक्स रिजीम में जाना चाहते हैं, तो आपको सिर्फ दो डिडक्शन्स का फायदा मिलेगा. एक तो सैलरी या पेंशन से 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन और दूसरे, NPS के टियर- 1 अकाउंट में एंप्लॉयर की तरफ से किया गया कंट्रीब्यूशन.

चूंकि ये दोनों छूट पुरानी टैक्स रिजीम में भी मौजूद हैं, इसलिए अगर आपने पहले ओल्ड रिजीम चुनी थी, तो इनका जिक्र आपके फॉर्म 16 में होना चाहिए. ऐसे में आपको रिटर्न भरने में कोई खास दिक्कत नहीं होनी चाहिए.

एक बात और, कोई भी फैसला करने से पहले इस बात की पड़ताल जरूर कर लें कि आपके लिए वाकई कौन सी टैक्स रिजीम बेहतर रहेगी. और इस बारे में कोई भी कन्फ्यूजन हो, तो अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट से सलाह-मशविरा जरूर कर लें.

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