PM गरीब कल्याण अन्न योजना एक्सटेंशन से इकोनॉमी पर मीडियम टर्म रिस्क के आसार

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना देश के 80 करोड़ गरीब लोगों को कवर करेगी. सरकार ने बजट में इसका पहले से प्रावधान किया हुआ है

Source: Unsplash

प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने सोमवार को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PM Garib Kisan Anna Yojana) को 2028 तक बढ़ा दिया. ये योजना देश के 80 करोड़ गरीब लोगों को कवर करेगी.

Also Read: PM Garib Kalyan Anna Yojana: PM मोदी ने फ्री राशन योजना को अगले 5 साल तक जारी रखने का किया ऐलान, कांग्रेस ने कसा तंज

अर्थशास्त्रियों की मानें तो इस योजना का असर FY24 में ही देखने को मिलेगा. वहीं, इसके साथ अगर ग्रामीण योजना गारंटी और हाउसिंग स्कीम को जोड़ दिया जाए, तो FY24 के लिए वित्तीय घाटे (fiscal deficit) का दबाव बढ़ सकता है.

इंडिया रेटिंग्स एंड रीसर्च प्राइवेट (India Ratings & Research Pvt.) के चीफ इकोनॉमिस्ट देवेंद्र पंत (Devendra Pant) के मुताबिक, FY24 में इसके लिए 2 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी, जो FY29 तक आते-आते बढ़कर 2.55 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी. पंत कहते हैं, 'मान लें कि जितना अनाज अभी बांटा जा रहा है, उतना ही आगे भी बांटा जाए, और लाभार्थियों की संख्या भी 80 करोड़ ही रहे, तो भी एक चीज बढ़ेगी, वो है इस स्कीम का इकोनॉमिक खर्च. यानी अनाज खरीदने की लागत'

इस इकोनॉमिक खर्च में खरीद भाव और ट्रांसपोर्ट खर्च शामिल है. पंत BQ Prime को बताते हैं, अगर मान लें कि इकोनॉमिक खर्च में सालाना 5% की बढ़ोतरी हो रही है और नॉमिनल GDP ग्रोथ, इकोनॉमिक खर्च से ज्यादा 8% पर है, तो 'फूड सब्सिडी पर किया जाने वाला खर्च ही 2 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2.6 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा, जिससे 5 साल में सरकारी खजाने पर कुल 11.5 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.'

बैंक ऑफ बड़ौदा में इकोनॉमिस्ट सोनल बधान (Sonal Badha) का कहना है, वित्तीय घाटा और ओवरऑल सब्सिडी बढ़ाने का प्रभाव बहुत ज्यादा नहीं दिखेगा क्योंकि केंद्र ने पहले ही बजट में इसको शामिल कर लिया है.

फूड कॉरपोरेशन के रीसोर्सेज के लिए आवंटन 55,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर FY24 के अनुमानित बजट में 1.45 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाया गया था. अनाज खदीरने की लागत (procurement cost) को ठीक रखने के लिए एक्सपोर्ट पर बैन जारी रखा जा सकता है.

मौजूदा वक्त में मैक्रो प्रभाव और भारी रेवेन्यू एक्सपेंडिचर के साथ, ग्रामीण रोजगार गारंटी को जोड़ने के बाद भी केंद्र सरकार के वित्तीय घाटे के GDP के 5.9% के टारगेट को प्रभावित कर सकती है.

केंद्र ने FY24 के लिए बजट में 1.97 लाख करोड़ रुपये की फूड सब्सिडी का आवंटन किया है. कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (CGA) के अनुसार, अप्रैल-सितंबर के लिए ये 95,149 करोड़ रुपये रहा, जो अनुमान का 48% है. साल की पहली छमाही में वित्तीय घाटा 7.01 लाख करोड़ रुपये रहा, जो अनुमानित टारगेट का 39.3% है.

पंत ने कहा, हेल्दी टैक्स और नॉन-टैक्स रेवेन्यू, जो टारगेट को ओवरशूट कर सकते हैं, इसके साथ ही बीती 3 तिमाही में नॉमिनल GDP में अनुमानित बढ़त से मदद मिल सकती है.

मुफ्त अनाज वितरण योजना (Free Food Distribution Scheme) दिसंबर 2022 में खत्म हो गई थी. इसके बाद केंद्र ने इस साल जनवरी में फूड सिक्योरिटी स्कीम (Food Security Scheme) में बदलाव करते हुए नई योजना को मंजूरी दी. इस नई योजना, जिसका नाम प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना था, में अंत्योदय अन्न योजना और priority हाउसहोल्ड के लाभार्थी शामिल थे. अगस्त में खाद्य एवं वितरण मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक, 2023 में इसमें अनुमानित खर्च 2 लाख करोड़ रुपये का था.

नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA) एक्ट के अंदर, लाभार्थियों को अनाज के लिए 1-3 रुपये/किलोग्राम का पैसा देना होता है और प्रति व्यक्ति को हर महीने 5 किलोग्राम अनाज मिलता है. अंत्योदय अन्न योजना के लाभार्थियों में हर परिवार को हर महीने 35 किलोग्राम अनाज मिलता है.

मीडियम टर्म रिस्क के आसार

क्वांटइको रीसर्च में इकोनॉमिस्ट युविका ओबेरॉय के मुताबिक, नई इंटिग्रेडेट फूड सिक्योरिटी स्कीम के लिए 1.68 लाख करोड़ रुपये की लागत लगेगी. 5 साल में कुल 8.4 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च होगा, जो मौजूदा भाव के हिसाब से फिलहाल GDP का 2.8% है.

फूड से जुड़ी वेलफेयर स्कीम्स में, इससे अगले 5 साल में फूड सब्सिडी में सालाना 2 लाख करोड़ रुपये या उससे ज्यादा का बोझ पड़ेगा.