Modi 3.0: वैष्णव का कद बरकरार; रेल, IT और सूचना-प्रसारण मंत्रालय मिला, चिराग पासवान बने खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्री

आसान नहीं रही है चिराग पासवान की राह; चाचा पशुपति पारस के विद्रोह से दो फाड़ हो गई थी LJP. पढ़ें कैसे अश्विनी वैष्णव ने IAS से मंत्रालय तक का सफर किया तय

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मोदी सरकार के नए मंत्रिमंडल में पोर्टफोलियो वितरण का काम अब पूरा हो चुका है. बड़े मंत्रालयों में पुराने नामों को फिर से रिपीट किया गया है. मतलब टॉप-4 मंत्रालयों के मंत्री पहले की तरह ही बरकरार हैं.

नए और अहम मंत्रालयों में शिवराज सिंह चौहान की ग्रैंड एंट्री हुई है, जिन्हें कृषि के साथ-साथ ग्रामीण विकास मंत्रालय भी सौंपा गया है. जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को टेलीकॉम मिनिस्ट्री दी गई है.

अश्विनी वैष्णव: फिर मिली रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी

इस बीच अश्विनी वैष्णव को फिर से रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है. उन्हें रेल, IT के साथ-साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्री भी बनाया गया है.

अश्विनी वैष्णव का परिवार जोधपुर का रहने वाला है. उन्होंने जोधपुर के MBM इनजीनियरिंग कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है. इसके बाद वे IIT कानपुर पहुंचे, जहां से उन्होंने एम टेक किया.

1994 में वैष्णव UPSC क्लियर कर IAS हो गए. उन्हें ओडिशा कॉडर मिला. सर्विस के दौरान उन्होंने बालासोर और कटक जिलों में बतौर DM सेवाएं दीं. 2003 में उनकी PMO में भी नियुक्ति हुई. 2008 में वे MBA करने के लिए वे व्हार्टन बिजनेस स्कूल गए. 2010 में उन्होंने सर्विस छोड़ दी.

वैष्णव ने इसके बाद कुछ प्राइवेट कंपनियों में वरिष्ठ पदों पर सर्विसेज दीं. फिर उन्होंने खुद का बिजनेस भी सेट किया. 2019 में वैष्णव ने BJP ज्वाइन की. इसके बाद वे ओडिशा से राज्यसभा में पहुंचे. यहां वे कुछ समितियों का हिस्सा भी रहे.

जुलाई 2021 में मोदी सरकार में वैष्णव को रेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली.

चिराग पासवान: पहली बार बने मंत्री

चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान हिंदुस्तान की राजनीतिक की अहम शख्सियत रहे हैं. चिराग का जन्म 1982 में हुआ. चिराग ने राजनीति से पहले सिनेमा जगत में भी हाथ आजमाया है. उन्होंने मिले ना मिले हम नाम की फिल्म में कंगना रनौत के साथ काम किया है.

चिराग पासवान ने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2014 से की. उन्होंने LJP के टिकट पर जमुई से चुनाव लड़ा और जीता. 2019 में भी वे जीतने में कामयाब रहे.

मतलब 2024 में चिराग तीसरी बार सांसद बने हैं. उन्हें, खाद्य एवं प्रसंस्करण (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री बनाया गया है. लेकिन चिराग की राह आसान नहीं रही. उन्हें चाचा पशुपति पारस की बगावत से भी पार पाना पड़ा है. यहां तक कि उनकी पार्टी भी दो फाड़ हो गई थी. इस चुनाव में चिराग की पार्टी NDA के हिस्से के तौर पर 5 सीटों पर लड़ी थी और सभी 4 सीटें जीती है.

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