इस हफ्ते इंडियन एयरलाइंस को फ्लाइट में बमों की धमकियों की जैसे लाइन लग गई. इसके चलते बड़े स्तर पर उड़ानों का शेड्यूल प्रभावित हुआ. अब तक की सारी धमकियां फर्जी ही साबित हुई हैं, लेकिन इनके चलते कमर्शियल एयरलाइंस द्वारा फॉलो किए जाने वाले प्रोटोकॉल पर सबका ध्यान गया है.
ये गाइडलाइंस DGCA द्वारा तय किए गए नियम हैं, जिनका पालन एयरलाइंस बम या हमले की धमकियां मिलने की स्थिति में करती हैं.
सिविल एविएशन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, 'आमतौर पर लोकल सिविल एविएशन अथॉरिटी या एयरलाइन ऑफिस को ये धमकियां मिलती हैं. पहले इन पर विचार किया जाता है कि क्या ये वाकई असली है या महज फर्जी धमकी है. जब तक ये साबित नहीं हो जाता कि धमकी झूठी है, तब तक सुरक्षा उपायों का कड़ाई से पालन किया जाता है.'
प्रोटोकॉल की जानकारी रखने वाले सूत्र के मुताबिक सबसे पहले एयरलाइंस को स्पेसिफिक और नॉन-स्पेसिफिक धमकियों में अंतर करना होता है. स्पेसिफिक धमकी फ्लाइट नंबर, तारीख, डिपार्चर और अराइवल टाइमिंग, फ्लाइट कहां से चली और कहां जा रही है, इस तरह की जानकारियां होती हैं.
दूसरी तरफ जिन धमकियों में एयरलाइन, फ्लाइट नंबर, तारीख और अन्य डिटेल्स नहीं होतीं, उन्हें नॉन-स्पेसिफिक धमकी कहा जाता है.
सूत्र ने आगे बताया कि जब किसी फ्लाइट में उड़ान के दौरान धमकी दी जाती है तो ये पायलट के ऊपर निर्भर करता है कि वो उड़ान जहां से शुरू हुई है, वहां वापस जाए या प्लेन को सबसे पास की लैंडिंग लोकेशन पर ले जाए. ये फैसला भी स्पेसिफिक और नॉन स्पेसिफिक धमकी पर निर्भर करता है.
इमरजेंसी स्थिति में उठाए जाते हैं ये कदम
सूत्र के मुताबिक जब एक एयरलाइन को बम की धमकी मिलती है, तो फ्लाइट के कैप्टन को अलर्ट किया जाता है. प्रोटोकॉल के मुताबिक कैप्टन को इमरजेंसी घोषित करनी होती है.
एक बार जब इमरजेंसी घोषित हो जाती है तो फ्लाइट को सबसे पास के मिलिट्री या सिविल एयरफील्ड पर ले जाया जाता है. इस दौरान एयरक्राफ्ट को ऐसे इलाकों से बचना होता है, जहां घनी आबादी की बसाहट है.
किसी भी बम जैसी संदेहास्पद चीज की खोज के लिए चुपचाप सर्च ऑपरेशन जाने का नियम है. फिर लैंडिंग से पहले कैप्टन को एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम से पार्किंग लोकेशन को लेकर बात करनी होती है.
अफरा-तफरी से बचने के लिए प्लेन में सवार यात्रियों को इमरजेंसी लैंडिंग की वजह नहीं बताई जाए और उनसे सिर्फ ये कहा जाता है कि ऑपरेशनल वजहों से फ्लाइट को डायवर्ट किया जा रहा है.
लैंड होने के बाद पैसेंजर्स और क्रू मैंबर्स को अपने हैंड लगेज के साथ ही उतार दिया जाता है. फिर उन्हें एयरोड्रोम में सिक्योर रूम में ले जाया जाता है. इसके बाद पूरे सामान और प्लेन की संदेहास्पद आइटम के लिए सर्च होती है.